________________
३०५
बीसवीं शताब्दी की जैन संस्कृत रचनाएँ, उनका वैशिष्ट्य और प्रदेय
बुन्देलखण्ड गौरवकाव्यम् - पं० गोविन्दराम शास्त्री भुजबली चरितम्
- पं० के० भुजबली शास्त्री जय-पराजयम्
- डॉ० उदयचन्द्र जैन
-
पं० मूलचन्द्र शास्त्री
दूतकाव्यम्
वचनदूतम् स्तोत्र/स्तुति :
श्री गुरोः शिवसागरस्य स्तवः शारदास्तुतिरियम् महावीरस्तवनम् महावीर स्तोत्रम् सामायिक पाठः बहुबल्यष्टकम् विद्यासागराष्टिकम् आवार्य शान्तिसागर वंदना संघमसिन्धु प्रणमामि नित्यम् आवार्य धर्मसागरमहाराजं प्रति तंद देशभूषणमर्षिमहं समीडे साधुवन्दना विनयांजलयः वृत्तहारः श्री शान्तिसागर स्तुतिः श्री शिवसागर स्तुतिः श्री महावीर कीर्तिस्तुतिः श्री धर्मसागराष्टकम् देवगुरु स्तोत्रम् भगवत् स्तुतिः आचार्य शिवसागरस्तोत्रम् आटोत्तरशातनामस्तोत्रम् जम्बूजिनाष्टकम् वीराष्टकम्
आचार्य ज्ञानसागर आचार्य विद्यासागर डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पत्रालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य डॉ० पन्नालाल साहित्याचार्य आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी मुनि सोहनलाल मुनि सोहनलाल आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी आर्यिका विशुद्धमती माताजी डॉ० दरबारीलाल कोठिया पं० वंशीधर व्याकरणाचार्य
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org