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________________ श्री वादिराजसूरिकृत पार्श्वनाथ चरित का साहित्यिक मूल्यांकन २७७ वन में प्रविष्ट हो गया । नगर वर्णन : इसके अतिरिक्त वस्तु-वर्णन-अर्थात् देश, नगर, क्रीडा, दुर्ग, सेना, युद्ध की तैयारी और युद्ध आदि का चित्रोपम और प्रभावशाली निरूपण कवि ने किया है । कृति के आरंभ में अरविंद राजा के पोदनपुरनगर का वर्णन इस तरह दिया है : वेदीरत्नप्रभोत्कीर्णाः प्रासादाः यत्र पांडुराः । सेंद्रचापशरमेधविभ्रमं साधु विभ्रते ॥ गृहाग्रोन्नतरत्नानां स्फुरंत्यो रश्मिसूचयः । दिवाऽपि यत्र कुर्वति शंकामुल्कासु पश्यताम् ॥ आस्तीपर्णा विपर्णियत्र कय्यमाणिक्यरोचिषा । प्राप्ता बालातपेनेव व्योमपाथेयलिप्सया ॥ यत्रंद्रनीलनिर्माणगृहभित्तीरुपास्थिताः । हेमवर्णाः स्त्रियो भांति कालाब्दानिव विद्युतः ।। भवनोत्तंभिता यत्र पताकाः पीतभासुराः भावयंत्यधने व्योम्नि क्षणदीधितिविभ्रमम् ॥ हरिंन्मणिमयारंभामुन्मयूखां जिघित्सया । दूर्वकरुधिया यत्र वत्सा धावंति देहलीम् ॥ (सर्ग-१, ५८ से ६३) वेदि गृह के रत्नों की प्रभा से व्याप्त जहाँ के प्रासाद अपनी कांति से इन्द्रधनुष से सहित शरत्कालीन मेघ की शोभा को धारण करते हैं । घरों के उन्नत अग्रभाग में लगे हुये रत्नों की चमकती हुई किरणें दिन में भी देखनेवालों को अपने में बिजली की शंका कराती हैं । विक्री के लिये रक्खे हुये माणिक्यों की लाल लाल किरणों से व्याप्त वहाँ का जौहरी बाजार ऐसा मालूम पड़ता है मानों आकाश-मार्ग में गमन करने से पहिले पाथेय (रास्ते में खाने का सामान) को ग्रहण करने की इच्छा से लोहित नवीन सूरज ही वहाँ आया हो । सुवर्ण के समान पीत वर्णवाली स्त्रियाँ जब कभी वहाँ की इन्द्रनील मणियों से निर्मित गृहभित्तियों पर आकर उपस्थित होती हैं तो उनकी नीले मेघों के पास चमकनेवाली बिजलियों की सी शोभा होती है । __उस नगर के घरों पर ध्वजायें जगमगाते हुये पीले वर्ण की सी हैं सो जिस समय वे पवन के प्रताप से इधर उधर फहराती हैं तो बिना मेघ के ही आकाश में बिजली के चमकनेका संदेह करा देती हैं अर्थात् बिजली का और उनका रंग एक समान होने से लोग मेघ रहित आकाश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001982
Book TitleContribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages352
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English & Articles
File Size22 MB
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