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________________ जैनों की सैद्धांतिक धारणाओं में क्रम-परिवर्तन १९१ अनुवर्तित करने वाली हास्यादि नोकषाये कैसे होंगी ? आखिर विशिष्ट कोटि के जीवन के अस्तित्व पर ही प्रवृत्तियाँ या अनुभूतियाँ निर्भर करती है । फलतः नोकषायों के व्यत्यय का कारण और उसकी ऐतिहासिकता विचारणीय है । १४. सूक्ष्म के भेदों का क्रम सामान्यतः सूक्ष्म पदार्थ वे कहलाते है जो अचाक्षुष हों, अव्याघाती हों, विप्रकृष्ट हों या जो छद्मस्थ-गम्य न हो । इनका अनुमान उनके कार्य से होता हो । सामान्यतः दिगंबर ग्रंथों में सूक्ष्म पदार्थों को परिगणित नहीं किया गया है । द्रव्य संग्रह में अवश्य चित्तवृत्तियों एवं परमाणु, कर्म आदि को सूक्ष्म बताया गया है । भगवती ८.२ में दस ज्ञेय पदार्थों को केवलि-ज्ञेय कहा गया है जिनमें शब्द, वायु, गंध, परमाणु, पुद्गल, तीन अमूर्त्यद्रव्य, मुक्त जीव आदि समाहित हैं । पर दशवैकालिक ८.१५ और स्थानांग ८.३५ में आठ प्रकार के जीवों को सूक्ष्म कहा गया है । इनमें एक नाम छोड़कर बाकी नाम एक-समान है पर उनका क्रम भिन्न है जो निम्न प्रकार ०२. पुष्प अंड स्नेह दशवैकलिक ८.१५ स्थानांग ८.३५ स्थानांग १०.२४ ०१. स्नेह (जल के प्रकार) प्राण प्राण पुष्प पनक पनक प्राण (कुन्थु समान जीव) वीज वीज उत्तिंग (कीटिकानगर) हरित हरित काई (पनक, ५ वर्ण) पुष्प वीज अंड हरित (अंकुरादि) लयन लयन अंड स्नेह ०९. - गणित भंग वृत्तिकारों में उत्तंग एवं लयन को लगभग समानार्थी ही माना है । यहाँ दशवैकालिक का क्रम सूक्ष्म से स्थूल की ओर जाता है, जबकि स्थानांग का क्रम स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाता है। यही नहीं, स्थानांग १०.२४ में गणित एवं भंग-सूक्ष्म के क्रम जोड़कर उसकी विविधा भी बढ़ा दी है । दशवैकालिक स्थानांग का पूर्ववर्ती माना जाता है । उसका सूक्ष्म-स्थूल-मुखी क्रम स्थानांग काल में कैसे परिवर्तित हो गया-यह विचारणीय है । पर सामान्य जन के लिये स्थानांग का क्रम अधिक वैज्ञानिक भी लगता है । इसमें अजीव सूक्ष्म कैसे छूट गये, यह भी एक विचारणीय बिन्दु है । गाथा-छंद-बद्धता को निश्चित रूप से इसका कारण नहीं माना जा सकता । फिर स्थानांग में ही गणित-सूक्ष्म एवं भंग सूक्ष्म का समाहारण भी एक प्रश्न ही है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001982
Book TitleContribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages352
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English & Articles
File Size22 MB
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