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________________ डा० अरुणा आनन्द ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर, एम०फिल० एवं पी०एच०डी० (संस्कृत) तथा श्रीलालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली से आचार्य (जैन दर्शन) की उपाधि ग्रहण की और संस्कृत, प्राकृत, पालि, जर्मन आदि भाषाओं तथा भारतीय-धर्म-दर्शन विशेषत: जैनधर्मदर्शन का अध्ययन किया। विगत १५ वर्षों से दिल्ली की विभिन्न शिक्षा व शोध-संस्थाओं विशेषतः भोगीलाल लेहरचन्द भारतीय संस्कृति संस्थान की विभिन्न अध्यापन व शोध-सम्बन्धी परियोजनाओं से जुड़ी हुई हैं। संगोष्ठियों व कार्यशालाओं का आयोजन, प्राचीन पांडुलिपियों का अध्ययन व संपादन, योगप्रशिक्षण तथा समाजसेवा में उनकी विशेष रुचि है। 'प्रायोगिक योग-शिक्षा,' 'प्रवीण योग-शिक्षा', 'पातञ्जलयोग और जैनयोग का तुलनात्मक अध्ययन' (प्रस्तुत कृति) के अतिरिक्त, विभिन्न शोध पत्रिकाओं में उनके अनेकों शोध-पत्र प्रकाशित हैं। संप्रति : भोगीलाल लेहरचन्द भारतीय संस्कृति संस्थान (बी०एल०आई०आई०) में उप-निदेशक के पद पर कार्य करते हुए 'दशवैकालिक नियुक्ति के सम्पादन व अंग्रेजी अनुवाद, एवं आ० हेमचन्द्रकृत 'योगशास्त्र' की स्वोपज्ञ टीका के (अंग्रेजी व हिन्दी) अनुवाद कार्य में निरत हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001981
Book TitlePatanjalyoga evam Jainyoga ka Tulnatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAruna Anand
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2002
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size25 MB
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