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________________ डॉ० पदमधर पाठक एम्. ए. पी.एच. डी. पुरातत्त्वाचार्य पद्मश्री मुनि जिन-विजयजी की प्रेरणा एवं प्रयत्न से, राजस्थान सरकार द्वारा प्रस्थापित "राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान" (राज. अोरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट) जिसका मुख्य कार्यालय जोधपुर में है तथा जयपुर, उदयपुर, चितौड़गढ़, कोटा, टोंक, अलवर और बीकानेर में जिसके शाखा कार्यालय स्थापित हैं-~-मुनिजी इस संस्थान के संस्थापक एवं १७ वर्ष प्रयन्त सम्मान्य निदेशक (ऑनरेरि डायरेक्टर) मुनिजी के पास प्रतिष्ठान में अध्ययन, संशोधन, संपादन आदि कार्य करने निमित्त शोध सहायक के रूप में जो कतिपय अध्ययनेच्छु प्रविष्ठ हुये, उनमें डॉ. पद्मधर पाठक एक विशिष्ठ प्रतिभा सम्पन्न, परिश्रमशील, अध्ययनप्रिय और विद्याविलासी विद्वान् हैं । प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान में प्रविष्ठ होने से पहले, ये दिल्ली विश्वविद्यालय के शोध कार्य के उत्साही और अध्ययनशील छात्र रहे हैं । राजस्थान के प्राचीन इतिहास की सामग्री का अन्वेषण करने निमित्त, इनको विशिष्ठ छात्रवृत्ति मिली थी। तीन चार वर्ष तक इन्होंने राजस्थान के अनेक स्थानों में रहकर, अपना गहरा गवेषणा कार्य संपन्न किया। बाद में उक्त प्रतिष्ठान में प्रविष्ठ होकर प्रतिष्ठान के बहुविध संशोधन कार्यों में योग देते हुये इन्होंने, ग्रंथों के संपादन कार्य में भी निपुणता प्राप्त की। "बुद्धिविलास'' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001969
Book TitleJinvijayji ka Sankshipta Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmadhar Pathak
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1971
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size1 MB
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