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जिनविजय जीवन-कथा
इतिहास प्रसिद्ध राव जयमल्ल जी राठौड़ को मेवाड़ के महाराणा ने बदनोर का प्रसिद्ध प्रान्त दिया था। उनके मुख्य वंशज बदनोर के ठिकाने वाले हैं। __जब दिल्ली के बादशाह औरंगजेब ने भारत के हिन्दुओं पर जज़िया नामक कर लगाया तब मेवाड़ राज्य से करके रूप में पुर, मांडल, और बदनोर के प्रान्त ले लिये। उस समय बदनोर के साथ रूपाहेली भी थी।
संवत् १७४७ में यह प्रदेश पुनः मेवाड़ के महाराणा के अधिकार में आया। ____ संवत् १७६८ में बदनोर के ठाकुर श्यामलदास जी के अष्ठम पुत्र ठाकुर साहिबसिंह जी को उनकी विशिष्ठ सेवाओं के कारण महाराणा द्वारा कई गांवों के साथ रूपाहेली भी प्रदान किया गया। उन्ही ठाकुर साहिबसिंह जी के वंशजों का अधिकार इस ठिकाने पर आज तक बना हुआ है। .. उक्त रूपाहेली गांव में पंचांग की गणनानुसार, विक्रम संवत् १६४४ के माघ शुक्ल १४ के दिन (जनवरी २७ सन् १८८८ ईस्वी) लगभग सुर्योदय के तत्काल बाद मेरा जन्म हुआ । ... मेरे पिता परमार वंशीय क्षत्रिय कुल के थे। उनका नाम बिरधी सिंहजी (बड़दसिंह) था। मेरी माता का नाम राजकुंवर (राजकुमारी) था । मेरी माता सिरोही राज्य के एक देवड़ा वंशीय चौहान जागीरदार की बेटी थी।
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