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________________ जिनविजय जीवन-कथा आर्य विद्या व्याख्यान माला की पुस्तक तथा त्रैमासिक पत्रिका पुरातत्त्व में एक से एक बढ़कर विद्वानों के ऐतिहासिक निबन्ध हैं, विशेष कर चाणक्य योग दर्शन, प्राकृत भाषा अने साहित्य, सलाजानो प्राचीन बिहार, कोटिल्यनु अर्थशास्त्रा, माठर वृति को समय, महाकवि श्री पाल आदि निबन्ध सर्वोत्तम और चित्ताकर्षक पुरातत्त्व सम्बंधी नवीन आविष्कार है-सबसे बढ़कर आपका व्याख्यान पुरातत्त्व तो पूर्व इतिहास अत्यन्त हृदयग्राही है-अंग्रेजी भाषा तो मैं पढ़ा नहीं कदाचित उक्त भाषा की पुस्तकों में होगा परन्तु हिन्दी भाषा में तो रमेशचन्द कृत भारतीय प्राचीन सभ्यता का इतिहास और पंडित गौरीशंकर जी ओझा आदि विद्वानों ने उक्त विषय पर अपनी अपनी पुस्तकों में लिखा है उनको देखा, परन्तु अापके व्याख्यान की समानता नहीं कर सकते । मेरे पास काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका का ऐतिहासिक त्रैमासिक अंक भी आता है परन्तु आपका त्रैमासिक पुरातत्त्व उससे अनेक अंशों में बढ़कर है । अत: मैं ग्राहक होता हूँ सो कृपा कर मेरा नाम ग्राहक श्रेणी में लिखवा दें। और क्रमशः भेजने की कृपा करें। परन्तु वी. पी भेजना चाहिये अब मैं बिना मूल्य स्वीकार किये अंक नहीं लूगा, क्योंकि ऐसी देशोपकारी संस्था की आर्थिक सेवा करना तो दूर रहा उल्टी आर्थिक हानि पहुँचाना हमारे लिये कलंक और घोर पाप है। ___ आज भाई पनेसिंह जी आये, आपका कृपा पत्र दिया तथा यह भी कहा कि कुछ समय पश्चात् आप महोदय की पुनः इस भूमि को पावन करने की इच्छा है । अतएव पुनः दर्शन मिलने की उत्कंठा से बड़ा आनन्द हुआ । परम् पिता जगदीश्वर शीघ्र आपका दर्शन करावे। ___ आपकी और हमारी इस जन्मभूमि में एक पाठशाला बनाने की जो आपकी पवित्र इच्छा है । इसलिये निवेदन है कि यहाँ पर जितनी भूमि है । वह सब आपकी ही समझें । आप आज्ञा करेंगे उसी जगह स्कूल बना दिया जावेगा, दूसरा एक निवेदन यह भी है कि क्षत्रिय महासभा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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