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________________ जैन सम्प्रदाय के स्थानक वासी आम्नाय में दीक्षित होना [१५७ रोज एक घंटा भर धर्मोपदेश दिया करते थे जिसको आगंतुक सभी भाई बहिन श्रद्धा पूर्वक सुना करते थे । जैन समाज में प्रायः ऐसा रिवाज है कि ऐसे धार्मिक उत्सवों के दिनों में जो लोग साधु महाराज का व्याज्यान अर्थात् धर्मोपदेश सुनने के निमित्त आते हैं उनको कुछ मालदार ग्रहस्थों की तरफ से बादाम, बताशे, पेड़े, शक्कर के पुड़े, छुवारे आदि वस्तुयें भेंट स्वरूप दी जाती हैं। जिस दिन साधुजी महाराज की तपस्या का पारणा था उस दिन उनका धर्मोपदेश सुनने को आने वाले सभी जनों को कोई १०-१५ मालदार ग्रहस्थों की तरफ से उक्त प्रकार के पदार्थ भेंट दिए गए। जैन भाइयों में इसको प्रभावना कहते हैं । एक-दो ग्रहस्थों ने तो प्रत्येक व्यक्ति को एक-एक नारियल भेंट दिया मैं भी उस व्याख्यान सभा में उपस्थित था इसलिए मुझे भी उक्त सभी वस्तुएं भेंट स्वरूप मिलीं। इन वस्तुओं का क्या किया जाय इसका मुझे कोई ज्ञान नहीं था मेरे जैसे अनेक लड़के व लड़कियां वहाँ उपस्थित थे उनको भी यह सब चीजें मिली सो उन्होंने तो जा जाकर अपने मात-पिता आदि को दे दी। मेरे पास उनको रखने बांधने का ही कोई साधन नहीं था और मैं स्वयं बदनावर वाले उन दम्पति के साथ किसी एक अन्य परिवार के यहाँ ठहरा हुआ था। भोजन तो दिगठान वाले लोगों की तरफ से आने वाले सभी भाई बहिनों को दिया जाता था। मैं बड़े संकोच के साथ अपने उस तौलिये में प्रभावना स्वरूप मिली हुई सब चीजों को लेकर उस दम्पति के सामने रख दी और पूछा कि इनका क्या किया जाय ? तब उन्होंने कहा कि यह तो सब तुम्हारे खाने के लिए है इसलिए इनको संभालकर रक्खो और धीरे-धीरे इनका उपयोग करो। मैंने कहा मेरे पास तो इनके रखने की कोई चीज़ नहीं है तब उन्होंने एक बालटी लाकर मुझे दे दी और कहा कि इसमें रखलो । मैंने पूछा कि यहां से वापस बदनावर कब जाना होगा तो उन्होंने कहा कि पर्युषणा अब दो तीन दिन बाद ही शुरू होंगे अतः हमारा विचार तो पर्युषणा यहीं करने का है और इन तपस्वी महाराज की सेवा-भक्ति करना चाहते हैं तुम भी हमारे साथ यहीं रहो तुमको किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं होगी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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