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________________ मंडप्या निवास जैन यतिवेश धारण [ १४६ वाली स्त्रियों को कहा कि श्राज निर्जला एकादशी है इसलिए ठाकुर जी को नारियल वगैरह कुछ चढ़ाना चाहिये, इसलिए वे स्त्रियां उस मन्दिर में दर्शन करने आई और एक दो नारियल वगैरह चढ़ाये जिनको पुजारी ले गये यह दृश्य मैंने उन आम के पेड़ों की रखवाली करते हुए देखा था । अतः मुझे निर्जला एकादशी का उस दिन का वह दृश्य तथा दो बरस पहले उसी एकादशी के दिन मैंने अपने स्व. गुरु देवीहंस जी के साथ रूपाहेली से प्रयाण किया था और उस रात को रूपाहेली से रेल में सवार होकर चित्तौड़ के लिए रवाना हुए थे। उसकी अगली रात माँ के साथ सोते हुए किस तरह व्यतीत हुई थी उसका भी स्मरण मुझे हो आया । सवेरा होने पर जल्दी उठकर मैं गांव में गया । ज्ञानचन्द जी कहीं बाहर गए हुये थे अतः उनकी स्त्री बोली कि मैं सारी रात तुम्हारी चिन्ता करती रही आंधी और तूफान के कारण गांव में भी कई लोगों के झोंपड़े आदि उड़ गए । झाड़ टूट पड़े । तुम्हारे दादा भाई बाहर गए हुये हैं अतः तुम्हारी तपास के लिए किसी को भेजना भी सम्भव नहीं हुआ इत्यादि । मैंने उससे कहा कि मैं तो रात को किसी तरह बच गया हूँ परन्तु जिन आम के पेड़ों की मैं रखवाली कर रहा था उन पर से हजारों केरियां टूटकर नीचे गिर गई हैं इसलिए उनको उठाकर लाने की तजबीज करनी है । फिर पास ही में एक गृहस्थ रहते थे और उनके पास गाड़ी बैल थे इसलिए हमने उनकी गाड़ी किराये कर वहां ले गए और उस वृद्ध जन तथा उसके परिवार के बच्चे और स्त्रियों ने मिलकर जमीन पर गिरे हुए सब आमों को इकट्ठे कर गाड़ी भर कर मकान पर लाये | आंधी के कारण इस प्रकार आम की केरियों के गिर पड़ने से काफी नुकसान हुआ। फिर शाम को यति ज्ञानचन्द जी भी वहां आ गये और उन गाड़ी भरी हुई केरियों को लोगों को देने करने की व्यवस्था की । ५-७ दिन के भीतर बची हुई केरियों को भी उतरवा ली गई और गांव में केरी बेचने वालों को बेच दी गई। उनका कितना रुपया आया उसका तो मुझे पता नहीं लगा परन्तु उस सौदे में नुकसान नहीं रहा इतना मुझे अवश्य ज्ञात हुआ । उन केरियों में से २-४ मन ज्ञानचन्द जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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