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________________ १४८] जिन विजय जीवन-कथा था। जेठ सुद ग्यारस अर्थात् निर्जला एकादशी के दिन दोपहर बाद खूब जोरों से आंधी चली। शाम होते २ बादल भी खूब उमड़ आये । मूसला धार वर्षा होने लगी और खूब ओले भी गिरने लगे। उन पेड़ों के नीचे में बैठा हआ अपनी आत्म रक्षा का उपाय ना देखकर एक बहुत बड़ा आम का पेड़ था, उसके ऊपर चढ़कर उसकी मजबूत टहनियों के अन्दर अपने को छुपाकर बैठा रहा। आधे पौन घन्टे के बाद वह तूफान शांत हुआ। पर वर्षा खूब हो जाने के कारण गांव में जाने का रास्ता बंद हो गया। रात भी पड़ गई और वर्षा रह-रहकर आती रही। आम के पेड़ पर से हजारों केरियां टूट २ कर नीचे गिर गई। उस तालाब की पाल के दूसरे किनारे पर छोटी सी पहाड़ी थी, जिस पर ५-७ छत्रियां बनी हई थी। जो शायद गांव के ठाकुर के पूर्वजों की समाधी स्थान के रूप में थी। मैं रात बिताने की दृष्टि से उन छत्रियों के पास चला गया। एक अच्छी बड़ी सी छत्री थी, जिसका चोतरा काफी ऊँचा था उसकी आड़ में मैं बैठ गया। इतने में वर्षा भी बन्द हो गई। बादल भी हट गये । माकाश में चांद निकल आया। मैंने अपने कपड़े उतार कर उन्हें नीचोया और सुकाने की कोशिश की। आस पास में कोई भी मनुष्य नहीं था। बिल्कुल एकांत जंगल था, कुछ डर भी लगे ऐसी जगह थी यूं तो वह वृद्ध जन कहा करता था कि रात को इस तालाब में पानी पीने के लिए बघेरा आता रहता है इसलिए रात को अकेला, दुकेला कोई मनुष्य यहां नहीं रह सकता । उस वृद्ध की कही हुई बात भी मेरे मन में कुछ शंका उत्पन्न कर रही थी। परन्तु एक तो मैं उन छत्रियों के आश्रय में था और दूसरी बात यह थी कि खूब वर्षा हो जाने के कारण रात को वैसे जानवर के वहां आने की खास संभावना नहीं थी। पर सारी रात मैं जगता हआ उसी तरह छत्री के एक कोने के पास बैठा रहा। उस दिन निर्जला एकादशी थी इसका स्मरण मुझे उन दूर वाली झोंपड़ियों में रहने वाले भील और मीणों की स्त्रियों से ज्ञात हुआ।। उन छत्रियों के पास एक छोटा सा महादेव जी का मन्दिर था जिसमें चार भुजा आदि देवताओं की भी मूर्तियां थी, जिनकी पूजा करने निमित रोज सुबह गांव से एक ब्राह्मण आया करता था उसने उस दिन उन झोंपड़ियों में रहने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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