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________________ श्री सुखानन्द जी का-प्रवास और भैरवी-दीक्षा [१०६ लगे रहना । ऐसी बातें रुद्र भैरव जी जब कह रहे थे वे पंडित जी अपने हाथ में एक छोटी-सी पुस्तक लेकर आ पहुंचे और रुद्र भैरव जी से कहने लगे कि आज ही के इस शुभ मुहुर्त में नये चेलाजी को सारस्वत व्याकरण सिखाना प्रारम्भ कर देता हूँ, आप मेरी दक्षिणा का प्रबन्ध करें । सुनकर रुद्र भैरव जी कुछ मुस्कराते हुए बोले कि बहुत अच्छी बात हैं, आप पढ़ाने का काम शुरू करें मैं आपको स्पैया नारियल भेंट कर दूंगा । पंडित जी ने दोनों हाथ जोड़कर घणी खम्मा कहते हुए उनका अभिवादन किया और बोले शिवानन्द भैरव महाराज की जय हो, सुनकर रुद्र भैरवजी वहां से चले गये और पंडितजी मेरे पास बैठकर सारस्वत व्याकरण का प्रथम श्लोक मुझे कंठस्थ कराने लगे। यों मुझे अपने स्वर्गीय गुरु महाराज देवीहंस जी ने कातंत्र व्याकरण के कुछ पद कंठस्थ करा दिये थे । चाणक्य नीति के कितने ही श्लोक भी सिखा दिये थे तथा जैन सम्प्रदाय में प्रचलित कुछ प्राकृत और संस्कृत के छोटे २ स्तुति, स्तोत्र भी पढ़ाये थे। इसलिए मेरा शब्दोच्चारण ठीक था और संस्कृत शब्द और वाक्य भी मैं ठीक पढ़ लेता था। इसलिए पंडितजी के बताये हुए सारस्वत व्याकरण के उस आद्य श्लोक को कंठस्थ करने में मुझे कोई विशेष कठिनाई नहीं हुई । यह देखकर पंडित जी जरा खुश हुए और बोले कि मैं आपको बड़ी अच्छी तरह पढ़ाऊंगा। पहले दिन का यह विद्या पाठ पूरा हुआ और फिर भोजन करने की झालर बज गई । पंडित जी भी यह कहकर उठ खड़े हुए कि भोजन का समय हो गया है सब संत वगैरह भोजन के लिए जायेंगे आप भी अब भोजन करें । "गुरु महाराज ने आपके भोजन की क्या व्यवस्था की है", वे पूछने लगे । मैंने कहा-''यह सब व्यवस्था कामदार जी के जिम्मे है इसलिए वे जैसा प्रबन्ध करेंगे वैसा होगा।" इतने ही में कामदार जी मा पहुंचे और बोले कि आपको गुरु महाराज अपने डेरे में भोजन के लिए बुला रहे हैं । कामदार जी का आदेश सुनते ही मैं अपने आसन पर से उठ खड़ा हुआ और एक हाथ में चीमटा और दूसरे हाथ में कमंडलु लेकर खाखी महाराज के डेरे में जा पहुंचा । वहाँ पर एक तरफ खाखी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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