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________________ चित्रांकन एवं काष्ठ-शिल्प [भाग 7 प्रादप्श त्तिाधण्या सीणिवा गदिर तदिजावि एकादसहि णिविवार (क) राजसभा का संचालन करता इंद्र, पासणाचरिउ की पाण्डुलिपि में, 1442 ई०, ग्वालियर, उत्तर भारतीय शैली (निजी संग्रह) पिहोतववरणाममधिरितवासुपहायकमममहावाहबनरावा आयरकालापणादझाकावारपापा पत्रसजिजिझविझविणहमकमराठालविविहितलम गराठावरवंछागिसिहयाशेशसाइंश्यपहा उयमयागलकंदतिघविउत्तालुहासाकरितवोतुलिकप्परफारूविजयासहियमरटलतिराया ठयणं वह हालयवायागिहऽचरिखकरणिकाछिपायडियदोसिवालमाछात्रहिछथहरणासाकामाला माणसिवदवयधरणगाजामाउणमयाम्भिववियप्पाध्यबिततपशिदरियदयासंबलिउपहा (ख) राजा यशोधर का एक नर्तकी और संगीतकारों द्वारा मनोरंजन, जसहरचरिउ की पाण्डुलिपि में, लगभग 1440-50 ई०, कदाचित् ग्वालियर, उत्तर भारतीय शैली (निजी संग्रह) चित्र 280 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001960
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size24 MB
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