________________
चित्रांकन एवं काष्ठ शिल्प
(क)
पटली पर तीर्थंकर के अभिषेक का चित्रांकन, ग्यारहवीं शताब्दी के अंतिम भाग से बारहवीं शताब्दी के आरंभिक भाग तक, ( इसके भी पहले के काल के लिए लेख देखिए), गुजराती या पश्चिम भारतीय शैली (ला० द० संस्थान, अहमदाबाद )
मोडिने सका राहशी
॥ ४ ॥ श्रमावाल निििा था.
Jain Education International
(ख) एक ताडपत्रीय पाण्डुलिपि में गज का चित्रांकन, बारहवीं शताब्दी का प्रथम चरण, ( पहले मुनि
जिनविजयजी के संग्रह में थी)
दिसलः
॥तुमिचचवन साउ सुतः श्रीमाझी दा मतीप्रमा
चित्र 270
(ग) एक ताडपत्रीय पाण्डुलिपि में सरस्वती का चित्रांकन, 1127 ई०, गुजराती या पश्चिम भारतीय शैली (शांतिनाथ भण्डार खंभात)
For Private & Personal Use Only
गुरुपा
[ भाग 7
www.jainelibrary.org