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अध्याय 37 ]
विवेशों के संग्रहालय इस प्रतिमा के पृष्ठ-भाग में स्थित अलंकृत चौखटे के शीर्ष पर ध्यान-मद्रा में तीर्थकर की एक छोटीसी प्रतिमा अंकित है। इनके अतिरिक्त इस संग्रहालय में तीर्थंकरों की कुछ अन्य प्रतिमाएँ हैं जो बहुत उत्तरवर्ती काल की और अकुशलता से गढ़ी गयी हैं। इनमें तीर्थंकरों को बैठे या खड़े हए सामान्य मद्रामों में दर्शाया गया है अतः इनपर विचार करने की विशेष आवश्यकता नहीं है।
ब्रजेन्द्र नाथ शर्मा
विक्टोरिया एण्ड एल्बर्ट म्यूजियम, लंदन
विक्टोरिया एण्ड एल्बर्ट म्यूजियम में जैन कला से संबंधित सबसे प्रारंभिक कृति एक तीर्थंकर की प्रतिमा है जिसका शीर्ष-भाग खण्डित हो चुका है। तीर्थंकर कायोत्सर्ग-मुद्रा में हैं जिसमें उनके हाथ धड़-भाग के साथ दोनों पार्श्व में लंब रूप में सटे हुए हैं (चित्र ३२१ क) । यह प्रतिमा सफेद धब्बे वाले लाल पत्थर से उत्कीर्ण है। प्रतिमा दिगंबर है और उसके वक्षस्थल पर कुषाणकालीन परंपरा में श्रीवत्स-चिह्न अंकित है। संग्रहालय के दस्तावेजों में इस प्रतिमा को त्रुटि से इक्कीसवें तीर्थंकर नमिनाथ बताया गया है । वस्तुतः इस प्रतिमा के कंधों पर लहराते हुए केश-गुच्छों से यह स्पष्ट है कि यह प्रतिमा तीर्थंकर ऋषभनाथ की है। इस प्रतिमा का यद्यपि शीर्ष खण्डित है तथापि कमलाकार प्रभा-मण्डल का जो अंश अवशिष्ट है उसके किनारों पर लहरदार उत्कीर्णन हैं। तीर्थकर की दायीं भुजा खण्डित है। प्रतिमा पर परिसज्जा का अभाव है जो यह संकेत देता है कि यह प्रतिमा दूसरी शताब्दी की कुषाणकालीन कला-कृति है।
ऋषभनाथ की एक अन्य प्रतिमा जो मिर्जापुर क्षेत्र की है, कमनीय प्रतिरूपण और उच्चस्तरीय परिसज्जा के लिए उल्लेखनीय है । यह प्रतिमा छठी शताब्दी की उत्तर गुप्तकालीन कलाकृति है जिसका शीर्ष खण्डित है; यह प्रतिमा अत्यंत क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसमें दोनों पार्श्व से दो सिंहों पर आधारित सिंहासन पर तीर्थंकर को ध्यान-मुद्रा में बैठे हुए दर्शाया गया है। तीर्थक के केश-गुच्छ कंधों पर लहरा रहे हैं तथा उनके वक्षस्थल पर श्रीवत्स-चिह्न अंकित है। सम्मुख-भाग में उनका लांछन वृषभ अंकित है। उनके दायें पार्श्व में एक सेवकप्रदर्शित है जिसका शीर्ष खण्डित हो चुका है जबकि बायीं ओर अंकित सेवक की समूची प्राकृति नष्ट हो चुकी है। तीर्थंकर के घुटनों के समीप यक्ष और यक्षी-प्रतिमाएँ अंकित हैं जो नष्ट हो चुकी हैं।
1 कुमारस्वामी (प्रानंदकुमार) कैटेलॉग ऑफ द इण्डियन कलंक्शन इन द म्यूजियम ऑफ फाइन मार्ट स, बोस्टन,
1923. 86 चित्र 43, तथा भट्टाचार्य, पूर्वोक्त, के सम्मुख चित्र में ऋषभनाथ की प्रतिमा को त्रुटि से महावीर
की प्रतिमा बताया गया है. 2 बूथ (मार्क एच). विक्टोरिया एण्ड एबट म्यूजियम, इण्डियन स्कल्पचर, ए ट्रेवलिंग एक्जिवीशन. 1971.
लंदन, रेखाचित्र 14.
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