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________________ सम्पादकीय टिप्पणी इस ग्रंथ की परियोजना इसके प्रथम खण्ड में पृष्ठ १० पर स्पष्ट की गयी थी। द्वितीय खण्ड उसी योजना-क्रम के अनुरूप है, अंतर केवल इतना है कि भाग ५ (वास्तु-स्मारक और मूर्तिकला १००० से १३०० ई०) में दक्षिणापथ और दक्षिण भारत को एक ही अध्याय २४ में सम्मिलित कर दिया गया है (जैसाकि पृष्ठ १० पर संकेत किया गया था कि क्षेत्रीय सीमाओं का निर्धारण सर्वत्र सरल नहीं होता), और भाग ६ (वास्तु-स्मारक और मूर्तिकला : १३०० से १८०० ई०) में दक्षिण भारत पर कोई अध्याय नहीं है क्योंकि उसकी सामग्री का उपयोग अध्याय २४ में कर लिया गया है। इस अध्याय में, पृष्ठ ३२६-३२८ पर डॉ० रंगाचारी चंपकलक्ष्मी ने इस परिवर्तन का समुचित कारण एक टिप्पणी में बताया है जो उन्होंने मेरे अनुरोध पर लिखी)। क्षेत्रगत और कालगत सीमा-रेखाओं के प्रायः अस्पष्ट होने से अध्याय १८, १९, २४ और २६ में जो व्यतिक्रम आया है वह इसी कारण क्षम्य है। यह खण्ड अध्याय ३० (भित्ति-चित्र) के साथ समाप्त होता है। यह अध्याय भाग ७ के अंतर्गत है जो तीसरे खण्ड में समाप्त होगा, और उसी में भाग ८ (अभिलेखीय और मद्रा संब स्रोत), भाग ह (मूर्तिकला और स्थापत्य के सिद्धांत और प्रतीक) और भाग १० (संग्रहालयों की कला-वस्तुएँ) भी सम्मिलित हैं। प्रथम खण्ड में पृष्ठ ८ पर मैंने लिखा है कि भारत से बाहर कोई जैन पुरावशेष होने का प्रमाण, नहीं मिलता। मानो इस मान्यता में परिवर्तन लाने के लिए ही हमें अग्रलिखित कलाकृतियों की सूचना दी गयी है। श्री मुनीशचंद्र जोशी इसी खण्ड के पृष्ठ २५६ पर उत्तर-पूर्व बल्गारिया से प्राप्त एक कांस्य-निर्मित तीर्थंकर-मूर्ति प्रकाशित कर रहे हैं, जिसे प्राचीन काल में कोई जैन भक्त वहाँ पूजा के लिए ले गया होगा। उतनी ही, या कदाचित् उससे भी अधिक, महत्त्वपूर्ण अफगानिस्तान से प्राप्त तीर्थंकर की कायोत्सर्ग-मुद्रा में संगमरमर से निर्मित वह मूर्ति (खण्डित मस्तक) है जिसकी सूचना सेमिनार फॉर प्रोरिएण्टल आर्ट-हिस्ट्री, यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन के मेरे मित्र डॉ० क्लॉज़ फ़िशर ने देने की कृपा की। उन्होंने इस मूर्ति का चित्र भी भेजा, जिसका रेखांकन (रेखाचित्र १०)और उसपर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001959
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size26 MB
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