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अध्याय 8]
पश्चिम भारत
टीका में तक्षशिला में धर्म-चक्र की स्थापना का जो वृत्तान्त दिया गया है उसका उल्लेख वसुदेव-हिण्डी
और पउमचरिउ में नहीं है। इसके अतिरिक्त, दिगंबर स्रोतों में भी इस घटना का वर्णन नहीं पाया जाता। दिगंबर स्रोत बाहुबली को तक्षशिला के स्थान पर पोतनपुर से संबद्ध मानते हैं। अतएव सिरकप स्तूप का जैन धर्म से संबंधित होना निश्चित नहीं है।
उमाकांत प्रेमानंद शाह
आवश्यक-नियुक्ति और उसपर हरिभद्र को टीका. 1. 332 और पृ 144 तथा परवर्ती. इसमें यह वृत्तांत आया है कि ऋषभनाथ तक्षशिला में बहलि-अडम्बिल्ल गये और वहां उन्होंने बहलि के लोगों तथा यौनकों और पहलगों को धर्म का उपदेश दिया. इस वृत्तांत के श्लोकों से ज्ञात होता है कि वृत्तांत के लेखन के समय तक्षशिला बल्ख
बक्त्रिया (बहलि) प्रांत में सम्मिलित था. 2 पूर्ण विवरण हेतु द्रष्टव्य : शाह (यू पी). स्टडीज इन जैन पार्ट. 1955. बनारस. प 10 और टिप्पणी./
शाह (यू पी). बाहुबली : ए युनीक ब्रौंज इन द म्यूजियम. बुलेटिन मॉफ द प्रिन्स प्रॉफ वेल्स म्यूजियम, बम्बई. 5; 1953-54; 32, 39, चित्र 5-6.
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