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________________ ८० द्वादशार-नयचक्र का दार्शनिक अध्ययन के कारण कर्ता नहीं बन सकेगा । यदि ऐसा मान लिया जाए कि पुरुष स्वतन्त्र एवं कर्ता होने पर भी अकर्ता और परतन्त्र प्रतीत होता है तब पुरुषवाद का स्वयं लोप होगा क्योंकि जगत् की विचित्रता को सिद्ध करने के लिए पुरुषवाद का आश्रय लिया और पुरुषवाद में उक्त आपत्ति का निराकरण करने के लिए नियतिवाद की परतन्त्रता का आश्रय लिया । अतः पुरुषवाद की अपेक्षा नियतिवाद ही श्रेष्ठ हुआ। __इस प्रकार पुरुषवाद का भी खण्डन किया गया है । नियतिवाद का वर्णन आगे किया गया है पुरुषाद्वैत की स्थापना करना ही प्रस्तुत वाद का लक्ष्य है। इसकी स्थापना के लिए विभिन्न तर्कों एवं आगम प्रमाण का आश्रय लिया है । पुरुषवाद की स्थापना कर देने पर भी उसमें अनेक दोषों का उद्भावन अन्य वाद के द्वारा कराया गया है । इस प्रकार एक अपेक्षा से पुरुषवाद सत्य है तो अन्य अपेक्षा से पुरुषवाद असत्य है । ऐसी स्थापना करके आ० मल्लवादी ने अपनी विशिष्ट शैली का परिचय दिया है । भाववाद सृष्टि के कारक तत्त्व की चर्चा करते हुए नयचक्र में काल-स्वभावस्थिति-नियति और पुरुष की चर्चा के पश्चात् भाववाद की चर्चा की गई है। भाववाद की यह चर्चा कारक के प्रसंग में द्वादशारनयचक्र की अपनी विशेषता है । यद्यपि ऋग्वेद में सर्वप्रथम यह प्रश्न उठाया गया था कि सृष्टि सत् से या भाव से हुई अथवा असत् या अभाव से हुई ? भाववाद वस्तुतः यह विचारणार्थ है कि जो यह मानता है कि भाव या सत् से ही सृष्टि संभव है १. न, निद्रावदवस्थावृत्तेः पुरुषताया एवास्वातन्त्र्यात्, आहितवेगवितटपातवत् । वही, पृ० १९३. २. ननु तज्ज्ञत्वाद्ययुक्ततैवैषा समर्थ्यते, युक्तत्वाभिमतत्वेऽपि चायमेव नियमः कत्रन्तरत्वा- पादनाय । भवति कर्ता...अचेतनोऽपि भवति। तन्नियमकारिणा कारणेनावश्यं भवितव्यं तेषां तथा भावान्यथाभावाभावादिति नियतिरेवैका की । वही, पृ० १९३-१९४. ३. वही, पृ० २३१-२४३. ४. को अद्धा वेद क इह प्र वोचत् कुत आजाता कुत इयं विसृष्टिः । ऋग्वेद, "नासदीय सूक्त," १०.१२९, ६. तषा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001955
Book TitleDvadashar Naychakra ka Darshanik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherShrutratnakar Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size11 MB
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