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________________ धर्मकथानुयोग जुद्ध २.७८, ४.३७५ जुद्धाइजुद्ध २.७८, ४.३७५ जुयंतकडभूमि १.५३ जुहिठिल्ल ३.१९१, ३.१९८, ३.२००, ३.२०६-२०७, ३.२०९, जूय १.११४, २.७८, ४.३७४ जूहिय १.६० जूहियामंडवग ४.२६० जेट्ठामूल २.४२, २.८६-८८ जेहिल २.१७४ जोइस १.१४, १.१९, १.२८, ४.२५३ जोइसराय २.४९ जोइसिय १.१५, १.१८, १.२४, १.४७, १.६५-६६, १.६९, १.७८-७९, २.२४७ जोणय १.१२२ जोणिय १.११५ जोतिसामयण २.१२३ जोतिसिय १.७४ जोह ५.३८२ झय १.५५, १.५९ झस १.११४ झुसिर १.१७ णंदुत्तरा १.७ णक्ख २.१७४ णक्खत्तदेवगण १.७९ णग्गोह १.१०१ णट्ट १.१७, ४.३७४ णट्टमालग १.१३० णडाविहि १.१७,१.१३१, ४.२५४-२५६, ४.२६४ णन्दावत्ता १.१७ णमि १.९५, १.९७, १.९९, १.१२९ णमोकार १.३ परिंदचंद १.११९ णलिण १.९२, १.१३८ गलिणगुम्म १.९२ णवणिहि १.१३० णवणि हिवद १.१३१ णवमालिय १.१७, १.६०, १.११६, १.१२५ णवमालियामंडवग ४.२६०। गवमिया १.८ णाग १.१५, १.७० णागकुमार १.१२६-१२८ णागजुणायरिय २.१७५ णागदंत ४.२५८ णागदत्ता १.१०० णागपह१.७९ णागरुक्ख १.१०१ णागलयामंडवग ४.२६० णागासुर १.११७ णाणिद १.७० णाडग १.१३२,११३५, १.१३७ णाडगविहि १.१३१ णाणबलिय १.८२ णाभि १.४, १.५, १.९, १.९५ णामंकियस र १.११८ णामेंहियंक १.११८,१.१२० णायकुलविणिक्वत्त १.६८ णायपुत्त १.६८, २.६४, २.१६५ णायसंड १.७० णायसंडवण १.७२ णाया ५.३८२ णायाधम् कहा ६.४४४, ६.४४७, ६.४४९, ६.४५९ णालंदा २.१४८ णालियाखेड्डु ४.३७५ ठइत्तय ४.३७३ ठविय २.२९, २.८२ ठिकल्लाण १.२२ (ण) णंगल १.११४ णंदण १.१४२ णंदणवण १.१६, १.२४, ४.२६४ णंदा १.७,४.२६२ णंदापुक्खरिणि ४.२६५ णंदावत्त १.११४, १.११९ णंदिघोस १.१५ णंदियावत्त १.१४,१.७९, १.११६ णदिवद्धण १.६८ णंदिवद्धणा १.७ णंदिस्सर १.१५ गंदीसक्ख १.१०१ गंदीसखर १.१३, १.२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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