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________________ १/४४५ २/६२ शब्द पृष्ठ नं. शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. सल्लइपवाल १/५८४ | ससीसोवरिय १/५०८,५०९ | सामण्ण १/१४२,१४३,१४४,२२९, सल्लतिगिच्छा १/२५७ | ससंधिय १/७००,७२० ४३६; २/२९६ सवण १/१०४ | सहजदिव्व भोगणिदाण करण २/१८६ | सामत्त सवणफल १/१०३ सहसक्कार १/४५४; २/३५१ सामली (वृक्ष) १/७ सवणाणुकूल वय १/४२ सहसागारेणं २/११०,१११। | सामवेद १/४८ सवत्ति समाणे २/१२१ सहसाऽभक्खाण २/१२५ | सामाइय १/३३,१३३;२/१२,९७,११६, सवियार २/२९५ सहस्सार कप्प २/१६२ १२४,१२८,१२९,१३०,१३४,१३५,२८० सब्वगाय-परिकम्म-विभूसा - सहाय पच्चक्खाण १/१३४; २/१२० सामाइयकड २/१२९,१३०,१३३ विप्पमुक्के २/३११ सहायलिच्छू २/४७१ सामाइयकडस्स किरिया २/१२९ सव्वगुणसंपन्नया सहिण १/४१७ सामाइयकडस्स पेज्जबंधण २/१३० सवण्णाण १/१६४ सहिण कल्लाण १/४१७,६८५ सामाइयकडस्स ममत्तभाव २/१२९ सव्वकज्जकरण १/४६५ सहिणाणि १/६८५ सामाइयगाई २/१४४ सव्वगुणसंपन्नया १/१३४ साइम १/९५,१५२,४४१,४८०,४८१, सामाइयचरित्त गुणप्पमाण १/२६ सव्वतोभद्दा ४८२,४८३,४८४,५११,५१२,५२२,५२४, सामाइय फल सब्बदंसी २/२९ ५३१,५४१,५४७,५५२,५५४,५५७,५६०, सामाइय सुत्त सब्ब पच्चक्खाण पारण सुत्तं २/११४ | ५६१,५६३,५६६,५६७,५६८,५६९,५७०, सामाइयसंजम २/१६ मवपमाण १/१२६ | ५७१,५७५-५८२,५९४,५९५,५९९,६०५- सामाइय-संजम-कप्पट्टिई १/५६ सब्बपरिण्णाचारी ६०९,६१३-६१८,६२१-६२३,६२८-६३२, सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया २/१२९ सव्व पावकम्म २/२३ ६५५; २/८६,१३२,१३३ सामाइयस्स सइ अकरणया २/१२९ सव्वप्पग १/१८० साएय १/५०२ सामुदाणिय गवसणा २/२०२ सव्वबल २/२०४ साकेय २/११६ सायपडियाय १/५०८ सव्वमूलगुण पच्चक्खाण २/११५ सागरोवम १/१४५; २/१७३ सायाउलग सबविराहय २/१५२ सागार २/११६ सायाणुगा १/४४६ सन्चसमाहिवत्तियागारेण २/११०,१११, | सागारकड सारक्खणविसोही २/२०७ ११२,११३ | सागारिय१/६३२-६३९,६५१-६५५, | सारक्खणाणुबंधी २/४०३ सब सुयाणवाई २/२५४ ६७५-६७८ सारक्खणोवघात २/२०७ सबस्स वि अमाघाओ १/२२३ |सागारिय उग्गह १/६७२ सारक्खाय १/५३९ सव्वाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं २/११५ सागारियकुल सारणिया सवाओ परिग्गहाओ वेरमणं २/११५ | सागारियागारेणं २/१११ सारंभ १/२०९,२१०,४५५ सब्बाओ पाणाइवायाओ वेरमणं २/११५ सागारियणिस्सा १/६३९,६४८,६४९ १/१०१,१०२,२४२ सब्बाओ मुसावायाओ वेरमणं २/११५ | सागारियपिण्ड १/६३२ सालपरियाय १/१०१ सचाओ मेहुणाओ वेरमणं | सागारियसंतिय १/६७९,६८१,६८२, सालपरिवार १/१०१,१०२ सव्वाराहय २/१५२ ७२८,७३६,७३९ सालि सब्वाहार १/४७९ | सागारियस्सणाय १/६३७ सालिसय १/११२ सविन्दिय समाहित १/२८५ |सागारियोपजीवी १/६३६ सालय १/५८३ सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणं २/११५ सागारोवउत्त १/१४७ सावज्ज १/१४६,१६९,२२०,५२७, सवेंटय पात्त १/७१६ साडीकम्म २/१२८ - ५२९,५३१,५३२ सब्बोसहिपत्त १/२२४ | साणय १/६९१,७२८; २/३३२ सावज्ज (1) किरिया १/२२०,६६१ ससमय १/६१ | साता (या)गारव १/९०,१६३ सावज्जजोग २/४८ ससिणिद्ध १/५०८,५०९ | सातियार १/२६ सावज्जजोगपरिवज्जण २/१२८ समिणिद्धा पुढवी १/४०७ साधम्मिणी २/४२६ सावज्जजोगविरइ (ति) २/६२ ससित्थ २/८५ | सामाइय ववसाय १/४८ सावज्जबहुल . २/५७,६१ २/८ साल P-176 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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