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________________ शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. पच्चक्खवयण १/५२० । पडिग्गहमाया | पणगसुहुम १/२८५,२/९० पच्चक्खाण १/१०४,१३३; | पडिणीय १/८८,८९ | पणयगिह १/४२२ २/९७,११०,१११,११२,११३,११४, | पडिपुच्छण (या) १/१३३; २/६८,६९,३९०|पणियट्ठ १/५३४ ११५,११६,११७,११८,११९,१२० | पडिपुच्छणाफल २/३९५ पणियसाल १/४२२ पच्चक्खाण-पालण-रहस्स २/१३९ | पडिबद्धसेज्जा १/६५१ | पणीताहारविवज्जणया १/४२२,४२५ पच्चक्खाणप्पगारा २/१९४ | पडिबुद्धजीवी २/५२,२०५ |पणीय आहार १/४२०,४२५ पच्चक्खाणफल १/१०४; पडिमट्ठारयाए २/३१२ पणीय आहार णिसेह १/३३० २/११८-१२० | पडिमट्ठाई २/३१०|पणीय पाण भोयण १/३३०; २/३०९ पच्चक्खाणी १/५१४ पडिमा २/१२४,३१६,३४९,४१९,४३४ पणीय भत्त पाण १/३२६ पच्चत्थिम १/१८५ | पडिमाधारगस्स वयण विवेगो २/३३१|पणीय रस परिच्चाय २/३०९ पच्चवाय २/८४,८६ | पडिमापडिवण्ण २/१३८,३१८-३२५ | पणीय रस भोयण १/३३३ पच्चूस १/६५ | पडिमा संगह २/३४८ पण्ण पच्छण्णपडिसेवी २/३५२ पडिमोयय पण्णत्ति अक्खेवणी २/३९७ पच्छण्णभासी १/१०८,१११ | पडियाणिय १/७०५ पण्णवणा पच्छन्नकालेणं २/११० |पडिरूवय (1) १/३४,१३४|| |पण्णवणी १/५१४-५१८ पच्छाद १/७२९ | पडिलेहणा १/७३३,७३४| पण्णवंताणं परक्कम २/४५५ पच्छाकम्म २/५९ पडिलेहणा दोस २/७१ पण्णा संपन्ना १/११८ पच्छाणुताव | पडिलेहणापमाय २/२०६ | पण्ह कत्ता १/१२० पच्छा संझा १/६९ | पडिलेहणा विहीं २/७१ पण्हकरणविही १/१०६ पच्छिमा १/६५ | पडिवाई १/२६,१२७ पण्हाय १/४१५ पज्जत्तिया (भासा) १/५१३ | पडिमुत्ता | पत्त १/२४२,२/३९४ पज्जव ओमोयरिया २/३०५ | पडिसेवण २/३५१ पत्त चीवर २/८८ पज्जवचरओ २/३०५ | पडिसेवणा पायच्छित्त २/३५३ | पत्तछेज्ज १/४६३ पज्जवजायसत्थ २/४५८ | पडिसेविय २/३७२-३७६ पत्तपडिलेहणाकाल २/७१ पज्जालिय १/५७७ | पडिसेवी १/४२३,४२४ पत्तपदाण १/४२० पज्जुवासणा १/१०३ | पडिसोय १/१४१ । पत्तमालिय पज्जोसवणा २/९० | पडिसोयचारी १/५३९,५४० | पत्तवीणिय १/४६१,४६२ १/४१८,६८५ पडिसलीणता २/२९३ | पत्तुण्ण १/४१७,६८५ पट्टविय २/३५३,३७८,३७९,३८०,३८४ | पडिहारिय १/६७६,६७७,७२७, पत्तेसण पडिमा . २/३३३ पट्टविया आरोवणा २/३५६,३५८,३५९ २/३१३-३१६ | पतंगविहिया १/५४४; २/३१९ पडण १/६७ | पडिण (1) १/१२२,१२९,१४७| पत्थगदिट्ठन्त १/२६,२७ पडुप्पण्णणंदी २/३५२ | पडुच्चसच्चा १/५१३ पत्थारा २/३७७ पडलाइ १/७२९ | पडुप्पण्णवयण १/५२० | पदोस २/३५१ पडागसमाणे २/१२१ पडुप्पवाइयट्ठाण १/४६३ | पन्ना परीसह २/४२१ पडिकुट्ठकुल १/५५४ पडोल पलासय १/६२१ पप्फिडय १/५१० पडिकूलोवसग्गा पढमपोरिसी समायारी २/७१ पफोडणा १/७३४ पडिक्कम २/१३९,१४०,१४१,१४२ | पढम समोसरण ૨/૮૮ पभावणा १/१२५ पडिक्कमण १/१३३; २/९७,९९,१००, पढमा पभासा १/२२३ १०१,१०३ पढमा-मासिया रांइदिया - पमत्त १/२३७; २/२०४,४६२ पडिक्कमणारिह २/३५२, भिक्खु पडिमा २/३१७,३२४ पमत्त पारंचिय २/३७८ पडिग्गह पणएदिट्ठी १/२०१| पमाणपत्त १/६२४ पडिच्छगा | पणग (य) १/२०१,२८५,५०१ | पमाणातिक्कंत १/६२३,६२४ Jain Education International For P P.-159sonal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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