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________________ जोग २/५२ जीय(त) शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. जलण २/४८ | जिणकप्पट्टिई १/५६ | जोइसिय १/५० जलणप्पवेस २/१९४,१९५,१९९ | जिणकप्पिय २/२६६ | जोई १/११३ जलपक्खंदण २/१९९ | जिणप्पगारा २/२२६ | जोईबलपलज्जण १/११७ जलप्पवेस २/१९४,१९५,१९९ जिणवयण १/१४५ १/४३७ जल्ल १/३४२,३५१,३६८,३७४,३८०, | जिणवयनिउण १/८५ जोगनिरोह १/१४७ ३८६,३९२,३९९,४२५,७३७,२/४३१ । जिणसासण १/१९९ जोगपच्चक्खाण १/१३४,१३५; २/११९ जल्ल परीसह २/४२१,४३१ जिणसंथव जोगपडिक्कमण २/९७ जल्लोसहिपत्त १/२२४ जिब्भबल २/२०४ जोगपडिसलीणया २/३१३,३१४ जवजवा १/१७५ | जिब्भा २/४४६ | जोगपरिण्णा १/११७ जवमज्झ चंदपडिमा २/३३७,३४२ | जिभिदिय १/४७३,४७४ | जोगपिण्ड १/५७४ जवमज्झ चंद पडिमं पडिवन्न २/३३७ जिब्भिन्दिय अपडिसलीण २/३१६ | जोगव १/११० जवमज्झा २/३१७,३३७ |जिब्भिन्दिय असंवर १/२१४ जोगवाहिया २/६४ जवोदग (य) १/६४१,६४६; २/२९५ जिब्भिन्दिय निग्गह १/१३४,७५४:२/३४ | जोगसच्च १/३४,१३४,१३५, जहण्णा २/१५६,१५७ जिब्भिन्दियपडिसलीणता २/२९४ ५१३; २/३४ जहण्णुक्कोसिया २/१५६,१५७ जिब्भिन्दिय मुण्डे २/८ जोगसंगह जहासुय १/८४ |जिब्भिन्दियरागोवरई १/४७० जोगहीण १/९८ जाइ थेर २/२२७ जिब्भिन्दिय संजम १/४३० जोणी १/४३२,४४५; २/३० जाइपह २/२२८,२२९ जोतिसियाण (देव) जाइसरण २/१६२ जीव १/६१,१२५,१२६,१३०,१४१, जोयणमेरा १/५०५ जाइसंप (ण्ण)न्ना १/१२१; २/३६४ १४६,१५०,१५२,१६०,१६८,१९०,२०९, जोयणवेलागामी १/५१० जाइहीणा १/१२१ २१०,२१४; २/३४,३५ जंकिचिमिच्छा पडिक्कमण २/९८ जागरा २/३३ जीवकाय १/१५४,२२९ | | जंगम १/४३९ जागरिया २/४५२ जीवगुणप्पमाण १/२०,२६ | जंगिय १/६९०; २/३३२ जाण १/१७५,४३२ जीवणिकाय १/१३२,२४८ | जंघाचारण २/४१२-४१४ जाणगसरीर दवावस्सय २/९३,९४ जीवपइट्ठिय १/२५४ जंघाचारण लद्धी जाणगसरीर भवियसरीर - २/४१४ जीवपएस १/२९,३०,३१ जंघारोम वइरित्त दव्वावस्सय १/३६९, ३७५ २/९४ जीवमिस्सिया जाणगिह | जंघारोम परिकम्म १/५१४ १/३५२,३८१, जीवाजीवमिस्सिया १/५१४ जाणसाल १/४२२ ३८७,३९३ जीवितभावणा १/१९८ | जंघारोम परिकम्म कारावण १/१२३ १/३६३, जीवियासंसप्पओग जातिअंध १/१६३ २/१०८,११९ ३६९,३७५ जातिमय |जंघासंतरिम २/२१९ १/१७५ १/५०८ जाम जुगमाय १/४२,५७,१२९,२०६, १/४८९,४९८,५४८ जंघासंतरिम उदगपार १/५०८ २८१,३२४; २/४,१९ १/४३२ जंतपीलणकम्म २/१२८ जाय (1) जुत्तपरिणय २/१३० १/११७ | जंतुयं २/३३१ जायणा २/४३० जुत्तरूव १/११७ | जंबुद्दीव १/२८; २/२२६,४१२,४१४ जायणा परीसह २/४२१,४३० जुत्तसोभ १/११७ जंबू १/३१८ जायणि (णी) १/५१४; २/३१९ १/११६,११७ | जंबू (दुम) १/१०९ जायपक्खा जुवराय १/५०१ | जंबूसुदंसण (वृक्ष) १/३२० जायरूव २/३० जूतपमाय २/२०६ जं वाइद्धं जिइंदिय १/८५,८६; २/५२ जूय १/२५७ १/६४,१९३,४३१; जिण (जिणवर) १/३,४,१४,४१,४२, जूवय २/३५०,४०२-४०६ १३०,१९४,२२४;२/१२,४३२ जोइबले झाणजोग २/४१८ जाणू जुग जुग्ग जुत्ते २ | झाण P-151 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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