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________________ | उस्सा शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. उम्मुग्ग २/४५७ | उवणीयचरए २/३०६ | उवाही २/४५६,४६० उरभ उवणीत-अवणीत वयण १/५२० उसभ १/३; २/२२६ उराल १/१९० उवणीयवयण १/५२० उसिण परीसह २/४२१,४२२,४२३ उरालं १/१४१ उवभोगपरिभोगपरिमाण २/११६, | उसिणवियड उवइ वहावण १/४९३ १२४,१२७ उसिणोदग गहण २/८५ उवएस (रूइ) १/१२६ उवभोग-परिभोगाइरित्त २/१२८ उस्सओ २/२२३ उवकरण असंवर १/२१४ उववज्झा १/९१ उस्सक्किय १/५७६ उवक्कम उववाइय १/१४९ उस्सट्ठपिंड उवक्खडसंपन्न १/५४१ उववातिया १/२४४,२४५ उस्सव १/६२८ उवक्खडिय १/५२२ उववूह १/१२५ १/२८७ उवक्खर १/४३८ उवसग्ग १/६२५,२/२८०,३०१,३१८, उस्सिंचिय १/५७७ उवक्खर संपन्न ३२४,३२५,४२८,४३५,४३६-४४१ उस्सेइम १/६४५,६४६; २/२९५ उवगरण १/४१७,७३०,७३९ उवसग्ग अणाहओ मुणी उंछ १/५४५; २/२७,४७ उवगरण-उप्पायणया १/७४,७५ उवसम १/१३१ एकल विहारिस्स गणेउवगरण चियाए २/१५ उवसमिय (भाव) १/१८ पुणरागमण २/२८०,२८१ उवगरण दब्बोमोयरिया २/३०३ उवसंत १/८८,१८७;२/२९ एकादसमा उवासग पडिमा २/१३७,१३८ उवगरणपरूवणा उवसंपज्जित २/२५१,२५२ एगट्ठाण पच्चक्खाण सुत्त २/१११ उवगरणसंजम २/५ उवसंपदा (या) २/६८,६९,२३० एगत्त अण्णत्त भावणा २/४५२,४५३ उवगरणसंजम २/१५ उवस्सय १/६४६,६४७,६४८,६४९, एगत्त भावणया णिव्वेय १/१४०,१४१ उवग्गहट्टयाए २/३९२ ६५१,६५२,६५३,६५४,६५५,६५६,६५७, एगत्तवियक अवियारी २/४०५ ६५८,६६०,६६२,६६३,६६४,६६५,६६६, २/२०६ उवघात एगत्थ आवासकारण २/२५८,२५९ उवघायणिस्सिया ६६७,६६८-६७१,६७४,६७५,२/८७,३१२ १/५१३ एगपासियाए २/३१२ उवजितकाय उवस्सय असंकिलेस २/२८७ १/५२२ एगप्पवाई १/१६० उवस्सयपरिण्णा १/११७ उवज्झाय १/१,८७,१००,१०३,१३०, एगराइया भिक्खुपडिमा २/३१७, ३२५ उवस्सिया १/२०५ ४९९,६१४,६१५,६८४;२/९,१०,७८,२३३, एगल्लविहार पडिमा २/२७८,२८०,२८१ उवहड १/५४२ २३७,२३८,२३९,२४०,२४१,२४२,२४३, एगवयण १/५१० उवहाण १/८,५७,११० २४४,२४६,२५०,२५२,२५४,२६३,२६४, एगवयणविवक्खा १/५१४ उवहाण पडिमा २/३१६ २७०,२७१,२७३,२७४,२७५,२८१,२८८, एगवयू १/५१४ उवहाणव १/१०८ २८९,३६२,३८६ एगग्गमणसन्निवेसणया १/१३३,७५१ उवहाणवीरिय १/३७,१९६,४७,२७९ उवज्झाय आसायणा एगल्ल विहाररिस्स अट्ठगुणा २/२७८ उवहाणायार १/११० उवज्झायत्ताए २/२२९,२३० उवहि एगंत अण्णावाय १/७३२,७३३,७३४,७३६, १/१८२ उवज्झायपडिणीय १/८८; २/२६३ एगंत किरियावाय ७३७:२/३९८ १/१६८,१६९ उवज्झाय पददाण २/२४५ उवहिपच्चखाण १/१३४,१३५;२/११९ एगंत किरियावाई उवज्झाय वेयावच्च उवहि वहावण २/२६८ एंगतकूड उवट्ठाण किरिया १/६७९ उवहि विओसग्ग २/४०६ एंगतणाणवाई १/१७९ उवट्ठावण __२/४ उवहिसंकिलेस २/२८६ एगंतदिट्ठी १/१८९,२/६५ उवट्ठावण अजोग्गा २/१०,११ उवाणह एगंतपंडिय १/४३३ उवट्ठावण कालमाण उवादीतसेस १/४५५ एगंतबाल १/३१३-३१५,२/२६३ उवट्ठावण जोग्गा २/१० उवादीयमाणा १/२३० एगंत विणयवाई १/१८२ उवट्ठावण विहाण २/९ उवासगपडिमा २/१३३-१३८,२८८ एगागिस्स समाही २/२८० उवणिहिए २/३०८ उवासिया १/५९,५८,१२७-१२९, एगावली १/४१८,६५४ उवणीय-अवणीयचरए २/३०६ २०७,३२४,२/१,२,२०,२१ एगासण पच्चक्खाण सुत्त २/११०,१११ २/३८६ P-142 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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