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________________ शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. शब्द पृष्ठ नं. आमोद(य)रिय (1) १/३३३, | आयाम १/६४१,६४६ | आरियखेत्त २/२५६ २/२९३,३०२-३०५ | आयामय २/२९५ | आरिय मग्ग आमोसग १/४९३,७०१,७२१ आयामसित्थभोई २/३०९ आरोवणा २/३५३,३५४, आमोसहिपत्त १/२२४ आयार २/२५,८६,१५७,३०५ ३५६-३५९,३७२ आमंतणि १/५१४ आयारअक्खेवणी | आरोवणा पायच्छित २/३५३ आयगवेसय २/२८ आयारकप्प २/३५३ आरंभ १/३९,१३१,१७०,१७५,२०९, आयगुत्त १/१९२ आयारकप्पपरिभट्ठ २/२४२ २१०,२८४,४३९,४४८;२/३,१९,१२५,१३६ आयगुत्त भिक्खुस्स परक्कम २/४५८ आयारगोयर १/५३,१६५ आरंभजीवी २/२०३,४१६ आयछट्टवाय १/१६१ | आयारधम्मपणिही आरंभपरिच्चाय १/१३५ आयजोईण आयारपकप्प २/२४२,२४३,२४९, आरंभ परिण्णाय २/१३४ आयट्ठीणं १/७५१ २५३,२५४,३५३ आरंभसत्ता १/१७९ आयदण्ड २/४३० आयार-पकप्पधर १/६७० आलओ थीजणाइण्ण १/३२६ आयणा | आयार-पण्णत्ति आलस्स १/९३ आयतचक्खू १/४४८ आयारपण्णत्तिधर १/५३४ आलाव संलाव कारण २/२५८ आयतणं १/२२३,४४२ | आयारभावदोसन्नु १/५३० | आलिसदग १/१७५ आयपरिक्कमाणं १/७५१ आयार-विणय १/७३ आलोइय २/३७३-३७६ आयमइ १/७४८ आयारवं २/३६३ आलोइयपाणभोयणभोई १/२२१ आयरक्खा २/२३० आयारसमाही १/५६,८६ | आलोयग आयरिय १/१,८५,८७,९२,१००,१०१, आयारसंपया २/२३३ | आलोयण पाणभोयण १/२८१ १०२,१०३,१२९,१३७,१५३,४९९,६१४, आयावणा २/३१२ आलोयणया १/१३४,१३५ ६१५,६२१,६८४; २/९,१०,७८,७९,८०, आयंक १/१४६ आलोयणा २/३६१-३६९ ८४,८६,८९,२३३,२३७-२४६,२४९,२५०, । | आयतियमरण २/१९३ | आलोयणा अकरण कारण २५२,२५४,२६३,२७०-२७६,२८०,२८८, आयंबिल २/३०९ आलोयणा अकरण फल २/३६७ २८९,३६२,३६६,३८५,३८६ | आयंबिल पच्चक्खाण सुत्त २/१११ | आलोयणा करण २/२६१ आयरिय आसायणा १/९७ | आयंबिलिए २/३०९ | आलोयणा करण जोग्गा आयरियत्ताए २/२३० आरभडा १/७३४ आलोयणाकरण कारण आयरियपडिणीय १/८८,२/२६३ आरामगार १/६४६,४०८,४२१ | आलोयणा कारणा २/३६१ आयरियप्पगार २/२३०,२३१ आरामगिह २/३२० | आलोयणा करण फल २/३६८,३६९ आयरियवयण १/२४८,२४९ आराहग(य) १/३०६,५१२,५१३, आलोयणा दोसा २/३६१,३६२ आयरिय-वेयावच्च २/३८६ २/८२,१४६-१५७ आलोयणारिह २/२६१,३६२ आयरियाइ अइसया २/२३३ आराहगा अणारंभा अणगार २/१५७-१५९ | आलोयणा सवण जोग्गा २/३६३,३६४ आयावए २/३१० आराहगा अप्पारम्भा - आलंबण १/४८८,२/१८८ आयसं (चे) घेयणिज्जा २/४३५ | समणोवसगा २/१६०-१६१ | आलुंप १/४५४ आयहियाणं १/७५१ आराहगा सण्णिपंचिदिय - आवउडि १/४१२ आया १/१६१,२/४६४ |तिरिक्खजोणिया २/१६१,१६२|| आवकहिय १/२६ आयाणनिक्खेव १/१४३ | आराहणविराहणी १/५१७/ आवकहिय अणसण २/२९४,२९५ आया (दा) णभंडनिआराहणा १/६१,२/९०,९६,१५५, | आवक्कहिय पडिक्कमण २/९७ क्खेवणासमिति १/२२०,२८१,२८२, १५६,२८९,४१३,४१४| आवट्टसोय २/३२ २८३,४८७,७२९-७५१ | आराहणापगारा आवतीति २/३५१ आयाणमट्ठी आराहणाफल १/५४ | आवायमसंलोय १/७३७ आयाणसोतगढित १/७५३ आराहणी १/५१७ आवस्सय २/९२-९७ आयाणि १/६८५,४१७ आराहणी भासा १/५१५,५१६ | आवस्सिया २/६८,६९ २/१५५ । १/१०७ P-139 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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