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________________ शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. ८१६ साणुक्कोसया १५८६ | साहणणाबंध २५५८ सातावेयणिज्ज (कम्म) १४९८ | साहण्णबंध २५५७ साती/सादी (संठाण) ६००,६६४ साहत्थिया (किरिया) १२३६,१२४९ सादीय (श्रुतज्ञानभेद) ८२०,८२३ साहम्मियवेयावच्च १३२० साधारणा (धारणानाम) साहसिय (पाणवहसरूव) १३५२ साम (अत्थजोणी) २५९१ साहारणसरीर १४१५,१७३१,१७३३-१७३५ साम (आगासस्थिकायनाम) साहारणसरीरणाम (कम्म) १५००,१६२९ साम (परमाहम्मियदेवनाम) १९१७,१९५४ साहिकरणी २४२ सामण्णओविणिवाइय (अभिनयप्रकार) सिढिलबंधणबंध (पयोगबंधभेय) १५४३ सामण्णपरियाग १३१७ | सिणाय (नियंठ) १०८९-१०९८,११०२,११०४-११२१, सामन्तोवणिवाइया (किरिया) १२३६,१२४९ ११२३,११२४ सामहत्थी (महावीरस्सअंतेवासीअनगार) १९१२ सिणेहकाय २५४८,२५४९ सामाइयचरित्तपरिणाम १२१ | सिद्ध २,३,२९,५२,१३२,१४५,१५०,१५२-१५६,१५९, सामाइयचरित्तलद्धी ९६४,१०२६ १६१,१६२,१६५,१६७,२३७,२४०,२४७,२४९,२५७,२९७,३०५, सामाइयचरित्तारिय २२९ ३०८,३१३,३१६,३४८,३५६,३५७,३५९,३६२,३६३,३६४,३६७, सामाइयसंजम १०९४ | ५१५-५२२,७९१,८७७,९३२-९३४,९६०,९६१,९६२,९७२,१०८७, सामाइयसंजय ११२१-११५० १२३२,१७०५,१७११,२००६,२०१०,२०१६,२०१७,२०४८सामाणिय १९११ २०५०,२०५२-२०५५,२१४९-२१५४,२३४३,२३५०,२५८५ सामाणियदेव सिद्धकेवलनाण ९२८,९२९ सामायारियाणुपुवी १००१ | सिद्धकेवलिअणाहारग सामासिय (भावप्रमाणभेद) १०४८ | सिद्धखेत्तोववायगई ७६४,७६६ सायणी | सिद्धणोभवोववायगई ७६६,७६७ सायवाई (अकिरियावाईभेद) १३४० | सिद्धभाव ३५५,३६३ साया (वेयणापगार) १६७० सिद्धवच्छलया १४९२ सायावेदग | सिद्धसेणियापरिकम्म ८७० सायावेयग १७५०,२१६७,२१८१,२२०५,२२३० | सिद्धसोग्गई १७०१ सायावेयणिज्ज १६६,१४९१,१५५४,१६१८,१६३४,१६३५, सिद्धसोग्गय १७०२ १६४१,१६४५ | सिद्धावत्त (सिद्धश्रेणिकापरिकर्मभेद) सायावेयणिज्जकम्म २५७३ | सिद्धि सायासाया (वेयणापगार) १६७० सिद्धिगइ ११०२,११३३ सारकंता (षड्जग्राममूर्च्छना) १०३५ सिद्धिगई (विवक्खयागईपगार) १७०१ सारस्सय (लोगतियदेवनाम) १९११ सिद्धिविग्गहगई १७०१ सारसी (षड्जग्राममूर्च्छना) | सिद्धिमग्ग सारीरमाणसा (वेयणापगार) १६६९ सिद्धी २५८५ सारीरा (वेयणापगार) | सिद्धत (सुयपरियायसद्द) सारंभसच्चमणप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४७८ | सिप्पणिही २५९५ साल १९४,१९५,१९६ सिप्पथावरकाय १७२७ सावचय १५२ | सिप्पथावरकायाधिपती १७२७ सावज्ज | सिप्पाजीव २५९६ सावरि (पावसुय) | सिप्पारिय २१९,२२० सासण (सुयपरियायसद्द) ९०५ | सिरिदाम (सरीरलक्खण) १८९० सासतासासत | सिरियाभिसेय (पसत्यसरीरलक्खण) १४१३ सासय ४१,४२,१३२,१४१,१६५,२४६,२४७,२५०३,२५४८ | सिहरी (पब्वयणाम) २८२ . सासायणसम्मदिट्ठि (जीवट्ठाण) सिंग १४३,१४८ ८७० ९०५ ७३२ m १६६२ P-97 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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