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________________ पृष्ठ नं. लोय ० ० पृष्ठ नं. शब्द लोभकसाई १२२,१२४,१५९,५२०,१४७१,१५१६,१५२६, वइदंड ७४७ २०३४,२०३५ | वइपओग ७५० लोभकसाय १४६३,१४६९,२२०४ वइपणिहाण ७४५,७४७ लोभकसायकरण १४६८ | वइप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४७८,२४७९,२४८६,२४८८, लोभकसायनिव्वति १४६९ २४८९ लोभकसायपरिणाम १२० वइप्पयोग १६५२,१६५३ लोभकसायभाव वइपुण्ण २६०२ लोभकसायी १३४२,१३४४,१४७२,१५१७,१७५३, | वइपोग्गलपरियट्ट २५०५,२५०८,२५१० २०३९,२३५१ | वइपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाल २५१० लोभणिस्सिया (पज्जत्तियामोसाभासा) ७१२ | वइमीसापरिणय (पोग्गल) . २४८४ लोभवत्तिया (किरियाठाण) १२८९,१२९६ | वइरोयण (लोगंतियविमाणनाम) १९११ लोभवसट्ट १५४६ | वइरोसभणारायसंघयण १६८,६०३,९४८ लोभविवेग २५८६ | वइरोसभणारायसंघयणणाम (कम्म) १५०१,१६२४ लोभसण्णा ३८३ वइरासभनारावर | वइरोसभनारायसंघयणी २२१३,२२१८,२२२९ लोभसमुग्धाय २३३३-२३३६ | वइसमिय १३१४ लोभसंजलण १६२०,१६३५ | वइसुप्पणिहाण ७४६ लोभोवउत्त २७१-२७८ | वइसुहया (सातावेदनीयकर्मानुभावप्रकार) १६४५ लोमपक्खी २१४ | वइसंकिलेस १६८९ लोमाहार ५०२,५१४ | वक्कयं ४,१८,२९,४०,१५१,१०२७ वग्गणा १६३,१६४,१७६,१७७,२५७-२६०, लोयग्ग ११६६,२३९९,२४०० लोयप्पमाण | वग्गमूल ५६६,५९६,५७०,५७१ लोयफुड वग्घमुह (अंतरदीवय) २१७ लोयमेत्त वच्छ (जनवय) २१९ लोयागास |वच्छ (मत्स्य) जणवय २१९ लोयालोयप्पमाणमेत्त वज्ज १८२९,१८३० लोलिक्क (अदिण्णादाणपज्जवणाम) १३८० वज्ज (पसत्थसरीरलक्खण) १४१३ लोहकसाई ९७२,१४७१,२०३४,२०३५ | वज्ज (पाणवहपज्जवणाम) १३५३ लोहप्पा (परिगहपज्जवणाम) १४१८ | वज्ज (वाद्य) लोहवत्तिया (पेज्जवत्तिया किरिया) १२३७ | वट्ट १२६ लोहियवण्णणाम (कम्म) १६२६ | वट्ट (संठाण) २४३५-२४४१,२४४५,२५५४,२६०० लोहियवण्णपरिणाम १२७,२४०२ वट्टसंठाणपरिणाम १२६ लंतय (देविंदनाम) १९११ वट्टगलक्खण (पावसुय) वड्ढमाणय (खओवसमियओहिनाणपच्चक्ख) ९१४,९१६,९२४ वइअगुत्ती (अशुभवचनप्रवृत्ति) ७४७ वड्ढइरयणत्त वइअसंकिलेस १६८९ १३०,२८२ वइकरण २८९,७३८,१६७२,१६७३ | वण (व्रण) १८७३,१८७४ वइगुत्ती ७४७ वणकर १८३३ वइजोग ३७,३८,२५४,२७६,७३६,७३८,१२६८,१५१९ | वणपरिमासी १८३३ वइजोगनिव्वत्ती वणफइकाइय २४९,२९८,३०१,५१३,५६८,६६२,६६७,६६९, वइजोगपरिणाम १२० ७७६,७७८,७८६,७९१,१२६३,१३२८,१३३५ वइजोगी १२२-१२४,१५९,२७६,५२१,७४४,९४८ वणप्फइकाल १४३१ ९७२,११०७,११३७,११३८,१५१६,१५१७,१७३१,१७३५,१७५१, । वणप्फइजीव २०३१,२०३३,२०३४,२१६८,२१७८,२१८१,२२०४,२२४०- वणराई २२४६,२२४७,२३०२,२३४०,२३४१,२३४२,२४३३ | वणसारक्खी वइजोय २३०२,२३४०-२३४२,२४३३ वणसंड वइदुप्पणिहाण ७४६ वणसरोही १८३३ ० ० वण १८३३ १८३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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