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________________ १७१ ओ शब्द पृष्ठ नं.| शब्द पृष्ठ नं. उसिणाजोणी ३७०,३७१ | एगिदियतिरिक्खजोणियाउय १५८८ उस्स (ओस) २१२१ | एगिदियतेयासरीरप्पओगबंध २५७१ उस्सप्पिणी १२९,१५१,२८५,२८६,२९७,२९९,३००,३०२, | एगिदियनिव्वत्तिय (पोग्गल) १५१० ३०३,३०६,१४३०,१४३७,१४७१,१७०५,१७२६,१८९९,१९१६ | एगिदियपाणाइवायकरण २८९ उस्सप्पिणिकाल १०९८-११०१,११२८,११२९ | एगिदियमीसापरिणय (पोग्गल) २४७६ उस्सप्पिणीगंडिया ८७५ एगिदियवेउब्बियसरीरकायप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४८२ उस्सासणाम (कम्म) १५००,१५०२,१५०६,१६२८ | एगिंदियवेउब्वियसरीरप्पओगबंध २५६४ उस्सासग | एगिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा १७९ उंछजीविसंपण्ण १८३१ | एगोख्य (अंतरदीवय) २१७ एगंतपंडिय १६००,१६०१ ऊणाइरित्तमिच्छादसणवत्तिया (किरिया) १२३५ | एगंतबाल १५९९,१६०० एरवय (खेत्तणाम) एकट्ठाणवडिय ८१ | एरण्णवय (खेत्तणाम) १७१ एक्कसिद्ध एवंभूय (सूत्रभेद) ८७१ एगक्खरिय (दुणामभेय) एवंभूय (नयभेद) १०८० एगखुरा २०९ | एसणासमिय १३१४ एगखुरी (चतुष्पदस्थलचर तिर्यंच स्त्री) १७० एगगुण (सिद्धश्रेणिकापरिकर्मभेद) ८७० ओगाढ १७,४७,७२३ एगट्ठिय (रूक्खभेय) १७६९ ओगाहणट्ठया ५३,५५,५७-८६,८९-११७,६६३-६६५ एगट्ठियपय (सिद्धश्रेणिकापरिकर्मभेद) ८७० | ओगाहणठाण २७३,५९३ एगट्ठियाणुओग ओगाहणट्ठाणाउय २५०१ एगत्त (पज्जवलक्खण) __५१ | ओगाहणपएसट्ठया एगदिसिलोगाभिगम (विभंगणाणभेद) ९४१ | ओगाहणसेणियापरिकम्म ८७० एगभविय १०६० ओगाहणा २७३,५९३ एगवयण (वयणपगार) ७४१ ओगाहणानामनिहत्ताउ (आउयबंधपगार) १५९०,१५९३ एगसिद्ध १६३,९२९ ओगिण्हणया (अर्थावग्रहनाम) ८१४ एगसेससमास १०५० ओघसण्णा एगओखहा (सेढी) २१२५ ओघादेस २१५०-२१५४,२४४४-२४४६,२५४३-२५४७ एगओवंका (सेढी) २१२५,२१३१,२१३४,२१३५ ओदण १४७ एगवाई (अकिरियावाईभेय). १३४० | ओमाण १३०,१०५३,१०५६ एगिदिय १०,१२२,१५५,१६०,१६१,१७४,१७९,१९९,२७९, | ओय (ओज) १४९ २८१,२९३,२९६,३०४,३१७,३४८,३५८,४००,४८७,५१३, | ओयपएसिय (घणचउरंससंठाण) ५१५,५१६,५१७,५१९,६८६,६८८,६९८,९६२,१२११,१२८८, ओयपएसिय (घणतंससंठाण) २४४१ १३३०,१५१९,१५६३,१५६५,१५६७,१६३४-१६३८,१६५५, ओयपएसिय (घणवट्टसंठाण) २४४१ १६७०,१६७३,१७३७,१७३९,१७४३,१९७८,२०१६,२१२५, | ओयपएसिय (घणायतसंठाण) २४४३ २३११,२३२३,२३२७,२३३३,२३५१ ओयपएसिय (पयरचउरंससंठाण) २४४२ एगिदियओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४८१ ओयपएसिय (पयरतंससंठाण) २४४१ एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४७९ ओयपएसिय (पयरवट्टसंठाण) २४४० एगिदियजाइणाम (कम्म) १५०१,१६२२,१६३६ ओयपएसिय (पयरायतसंठाण) २४४३ एगिदियजीव ओयपएसिय (सेढिआयतसंठाण) २४४३ एगिदियजीवअपज्जत्तग ६९१ ओयाहार ५१४ एगिदियजीवनिव्वत्ती १५१ ओरस (पुत्तपगार) १८८३ एगिदियजीवसरीरप्पओगपरिणामिय १४८ ओराल २०१ एगिदियतिरिक्खजोणिय २०५,२२०१,२२४०,२२७८ । ३८,२८१,२५४,५४३,५४४,५६१. एगिदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववायगई ७६४ | ५६२,५६५-५७०,५७३,७४१,१२६६-१२६९,१७३०,२०७५ एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणग/पवेसणय २१०१,२१०३ | ओरालियपोग्गलपरियट्ट २५०५-२५११ ३८३ P-46 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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