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________________ ३२ शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. उण्णयसंकप्प १८०१ | (त्रिकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२९ उण्णाम (मोहणिज्जकम्मणाम) १४८५ | उदइय-खओवसमनिष्फन्न उत्तमपुरिस (पुरिसपगार) ३७४ | (द्विकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२८ उत्तर (दिसा) ३२,१४२,३०८,३०९,३११,३१२,९३० उदइय-खओवसमिय-पारिणामियनिष्फन्न उत्तरकुरा १७१ (त्रिकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) उत्तरगुणपच्चक्खाणी २३४,२३५ उदइय-खयनिष्फन्न (द्विकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२८ उत्तरगुणपडिसेवय १०९५,११२५ उदइय-पारिणामियनिष्फन्न उत्तरगंधारा (गांधारग्राममूर्च्छना) (द्विकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२८ उत्तरपगडि १५०५,१५०७ उदइयभाव १००८,१०१९,२५९९ उत्तरपगडिबंध (भावबंधभेय) १५४३ उदग १४६६ उत्तरपच्चत्थिम (दिसा) उदगगब्भ २१२१ उत्तरपुरस्थिम (दिसा) ३२ उदगजोणिय ५२७,५२९,५३४ उत्तरमंदा (मध्यमग्राममूर्च्छना) १०३५ उदगराई १४६४ उत्तरवेउब्विय २७५ उदधि (सरीरलक्खण) १८९० उत्तरवेउब्बिय (सरीर) २२६२ उदधिवर (पसत्थसरीरलक्खण) १४१३ उत्तरवेउब्बिया (सरीरोगाहणा) ५८५,५८६,५८८,२२५४ उदय (उदइय छनामभेद) १०२२ उत्तरा (मध्यमग्राममूर्च्छना) उदयणसत्त (पुरिसपगार) १८८२ उत्तरायया (मध्यमग्राममूर्च्छना) उदयनिष्फण्ण (उदइय छनामभेद) १०२२ उत्तराययाकोडिमा (गांधारग्राममूर्च्छना) १०३५ उदही १३० उत्ताण १८४०,१८४१ उदायी (हत्थिनाम) २०४५ उत्ताणहियय १८४०,१८४१ उदियथमिय १८३० उत्नाणोदय १८४० उदियोदिय १८३० उत्ताणोदही १८४०,१८४१ उदीरणोवक्कम १५४६ उत्ताणोभासी १८४०,१८४१ | उद्दवण (पाणवहपज्जवणाम) १३५३ उत्ताल (गीतदोस) १०३५ उदिसपविभत्तगई ७६८,७७० उदइय (छनामभेद) १०२२,१०२३ उद्देस उदइयउवसमनिष्फण्ण (द्विकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२७ उद्देसग ९९८ उदइय-उवसमिय-खइय-खओवसमनिष्फन्न उद्देसणकाल ८२६,८२८,८३०,८३२,८४४,८५७,८६०,८६३,८९२ (चतुष्कसंयोगजसान्निपातिक भावभेद) १०३१ उन्नय २४२९ उदइय-उवसमिय-खइय-खओवसमिय पारिणामियनिष्फन्न उन्नयावत्त १४६६ (पंचसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०३२ उन्नयावत्तसमाणमाण १४६६,१४६७ उदइय-उवसमिय-खइय-पारिणामियनिष्फन्न उन्नाम (चतुष्कसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०३२ उप्पण्णमिस्सिया (अपज्जत्तियासच्चामोसाभासा) उदइय-उवसमिय-खओवसमनिष्फन्न उप्पण्णविगयमिस्सिया (अपज्जत्तियासच्चामोसाभासा) (त्रिकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२९ उप्पतणि (पावसुय) उदइय-उवसमिय-खओवसमिय-पारिणामियनिष्फन्न उप्पत्तिया (असुयणिस्सियभईणाणभेद) ८१२,८१३ (चतुष्कसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०३२ उप्पत्तिया २४३० उदइय-उवसमिय-खयनिष्फन्न उप्पल १२९ (त्रिकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२९ उप्पलजीव १७५४,१७५५ उदइय-उवसमिय-पारिणामियनिष्फन्न उप्पलंग १२९ (त्रिकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०२९ उप्पहजाई १८५१ उदइय-उवसमिय-खओवसमनिष्फन्न उप्पा १९७५ (त्रिकसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) उप्पाय (पावसुय) ९०७,९१० उदइय-खइय-खओवसमिय-पारिणामियनिष्फन्न उप्पायपुव्व ८७२ (चतुष्कसंयोगजसान्निपातिकभावभेद) १०३२ उप्फालग ११५७ उदइय-खइय-पारिणामियनिष्फन्न उब्भिय १४१५ १०२९ P-44 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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