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४. चउरंससंठाणपरिणया वि,
आयत संठाणपरिणया वि' ।
५.
३. जे फासओ गरूयफासपरिणया
ते वण्णओ - १. कालवण्णपरिणया वि,
२. नीलवण्णपरिणया वि,
३. लोहियवण्णपरिणया वि,
४. हालिद्दवण्णपरिणया वि,
५. सुक्किलवण्णपरिणया वि ।
गंधओ - १. सुब्भिगंधपरिणया वि
२. दुब्भिगंधपरिणया वि । रसओ- १. तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि,
३. कसायरसपरिणया वि,
४. अंबिलरसपरिणया वि,
५. महुररसपरिणया वि । फासओ - १. कक्खडफासपरिणया वि,
२. मउयफासपरिणया वि,
३. सीयफासपरिणया वि,
४. उसिणफासपरिणया वि,
५. निद्धफासपरिणया वि,
६. लुक्खफासपरिणया वि । ठाणओ - १.
परिमंडलसंठाणपरिणया वि,
२. वट्टसंठाणपरिणया वि,
३. तंससंठाणपरिणया वि,
४. चउरंससंठाणपरिणया वि,
५. आयतसंठाणपरिणया विरे ।
४. जे फासओ लहुयफासपरिणया
ते वण्णओ - १. कालवण्णपरिणया वि,
२. नीलवण्णपरिणया वि,
३. लोहियवण्णपरिणया वि,
४. हालिद्दवण्णपरिणया वि,
५. सुक्किलवण्णपरिणया वि ।
गंधओ - १. सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि ।
१. फासओ मउए जे उ, भइए से उ वण्णओ ।
गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओ विय ॥ - उत्त. अ. ३६, गा. ३५
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४. यतुरस्त्रसंस्थान - परित पड़ा छे,
५. खायतसंस्थान - परिक्षत या छे.
૩. જેઓ સ્પર્શથી ગુરૂસ્પર્શ - પરિણત છે तेस्रो वर्षाथी - १. द्रृष्णवर्श- परिशत भए। छे,
२. नीलवर्ण - परिक्षत पश छे,
3.
वर्ग- परिशत पए। छे,
४. पीतवर्श - परिशत भए। छे,
દ્રવ્યાનુયોગ ભાગ-૪
५. शुडसवर्ण - परिक्षत पड़ा छे.
तेस्रो गंधथी - १. सुगंध- परिक्षत पए। छे,
२. दुर्गंध - परिात पए। छे.
तेस्रो रसथी - १ तिउतरस परिणत पए। छे,
-
२. उटुरस - परित भए। छे,
उ. द्रुषायरस - परिात पए। छे, ४. अम्लरस - परिात पए। छे,
५. मधुररस - परिक्षत पा छे.
तेस्रो स्पर्शथी - १. ईशस्पर्श परिात पा छे,
-
२. मृहुस्पर्श - परिक्षत पए छे,
3. शीतस्पर्श - परिक्षत यश छे, ४. उष्णस्पर्श - परिात पाछे,
५. स्निग्धस्पर्श - परिक्षत पए छे,
5. रुक्षस्पर्श - परिणत भएर छे.
तेस्रो संस्थानथी - १. परिमंडण संस्थान - परिषत भए। छे,
-
२. वृत्तसंस्थान परिात पए। छे,
3. त्र्यस्त्रसंस्थान - परिशत पाछे,
४. यतुरस्त्र संस्थान - परिक्षत पाछे,
५. आयतसंस्थान - परिषत पत्र छे.
૪. જેઓ સ્પર્શથી લઘુસ્પર્શ - પરિણત છે तेखो वर्शथी - १. द्रृष्णवर्श परिक्षत पशु छे,
२. नीलवर्ण परिशत भए। छे,
3. रतवर्श परिक्षत पए। छे,
४. पीतवर्श- परिशत पत्र छे,
पशुसवर्ण - परिशत भए। छे.
तेस्रो गंधथी - १. सुगंध परिक्षत पत्र छे, २. हुर्गंध - परिक्षत पए छे.
२. फासओ गरूए जे उ, भइए से उ वण्णओ ।
गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ विय ॥ - उत्त. अ. ३६, गा. ३६
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