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________________ ૨૩૮૨ ८. १. ३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि । गंधओ - १. सुभिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि । फासओ - १. कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि ३. गरूयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५. सीयफासपरिणया वि, ६. उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया वि । संठाणओ - १. परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि 1 - पण्ण. प. १, सु. ११ (१-५) फास परिणयाणं एक्कसय चउरासीइ भेया१. जे फासओ कक्खडफासपरिणयाते वण्णओ - १. कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि । गंधओ-१. सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि । रसओ - १. तित्तरसपरिणया वि २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि ४. अंबिलरसपरिणया वि. ५. महुररसपरिणया वि । रसओ महुरए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य ॥ Jain Education International For Private ८. 3. उतवर्श परिपात पा छे, ४. पीतवर्श परिक्षत पए। छे, पशुसवर्श- परिशत पा छे. - - દ્રવ્યાનુયોગ ભાગ-૪ तेस्रो गंधथी - १. सुगंध- परिशत पत्र छे, २. हुर्गंध - परित पाए छे. तेस्रो स्पर्शथी - १. हुईश स्पर्श परिक्षत पए। छे, - २. मृहुस्पर्श - परिशत पत्र छे, 3. गुरुस्पर्श परिक्षत पए। छे, ४. लघुस्पर्श- परिशत या छे, ५. शीतस्पर्श - परिक्षत पए। छे, ८. उष्णस्पर्श - परिशात पाछे, ७. स्निग्धस्पर्श - परिशत पक्ष छे, ८. रुक्षस्पर्श - परिशात या छे. तेस्रो संस्थानथी - १. परिमंडण संस्थान - परिएात पए। छे, २. वृत्तसंस्थान - परिक्षत पए। छे, 3. व्यस्त्रसंस्थान - परिक्षत पत्र छे, ४. यतुरस्त्र संस्थान पसायत संस्थान परित पा छे, परिशत पा छे. સ્પર્શ પરિણતાદિના એકસો ચોરાસી ભેદ : ૧. જેઓ સ્પર્શથી કર્કશસ્પર્શ - પરિણત છે तेस्रो वर्षाथी - १. कृष्णवर्श परिक्षत पए। छे, २. नीलवर्ण - परिशत या छे, 3. रडतवर्श- परिशत पा छे, ४. पीतवर्श- परित भए। छे, 4. सुडलवा - परिशत पए। छे. तेस्रो गंधथी - १. सुगंध- परिशत पाए। छे, २. हुर्गंध - परिक्षत भए। छे. તેઓ રસથી - १. तितरस - परिात पडा छे, २. उटुरस - परिात पए छे, 3. पायरस - परिक्षत यश छे, - उत्त. अ. ३६, गा. ३३ Personal Use Only ४. अम्लरस - परिक्षत पए। छे, ५. मधुररस - परिक्षत या छे. - www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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