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________________ અજીવ દ્રવ્ય-અધ્યયન २३७७ ४. लहुयफासपरिणया वि, ५. सीयफासपरिणया वि, ६. उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१. परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि। ५. जे वण्णओ सुक्किलवण्णपरिणयाते गंधओ-१. सुब्भिगंधपरिणया वि, • २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ- १. तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१. कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरूयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५. सीयफासपरिणया वि, उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१. परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि। - पण्ण. प. १, सु. १(१-५) ६. गंध परिणयाणं छियालीसं भेया १. जे गंधओ सुब्भिगंधपरिणयावण्णओ पीयए जे उ, भइए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य ।। -उत्त. अ. ३६,गा. २५ ४. स.घुस्पर्श - परित ५५॥ छ, ५. शीतस्पर्श - परित ५९॥ छ, 5.6स्पर्श - परित छ, ७. स्मिस्पर्श - परित ५५॥ छ, ८. २१स्पर्श - परित ५५॥ छ. तेसो संस्थानथी-१. परिभंडण संस्थान - परिात ५९॥छे, २. वृत्तसंस्थान - परित ५। छ, 3. त्र्यस्त्रसंस्थान - परित ५५॥ छ, ४. यतुरस्त्र संस्थान - परित ५९ छ, ५. सायतसंस्थान - परित ५५! छे. ५.४ थी शुस - परित छ - तो गंधयी - १. सुगंध - परित ५९ छ, २. हु - ५रित ५९५ छे. तमो रसथी - १. तितरस - परित ५ छ, २. टु२४ - परिसरात ५, 3. पायरस - परित ५॥ छ, ४. अन्सरस - परित ५९ छ, ५. मधु२२स. - ५२ ५५ छे. तेयो स्पशथी - १. स्पर्श - परित ५। छ, २. भूदृस्पर्श - परित ५४॥ छ, 3. ३स्पर्श. - ५२९त. ५९ छ, ४. सधुस्पर्श - परित ५४॥ छ, ५. शीतस्पर्श - परिरात ५छ, 5. स्पर्श - परित ५९॥ छ, ७. स्नि५२५श - परिणात ५ छ, ८. २क्षस्पर्श - परिणत ५। छे. તેઓ સંસ્થાનથી -૧. પરિમંડળ સંસ્થાન-પરિણત પણ છે, २. वृत्तसंस्थान - परिणत ५एछे. 3. व्यस्त्रसंस्थान - परित ५॥ छ, ४. यतुरस्त्रसंस्थान - परिणत ५। छ, ५. मायत संस्थान - परित ५९ छे. ૬. ગંધ પરિણાદિના છેતાલીસ ભેદ : १. गंथी सुगंध परिसतोय छ - वण्णओ सुक्किले जे उ, भइए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य ॥ -उत्त. अ. ३६, गा. २६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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