________________ 344 पिंडनियुक्ति 48 75 सीवण्णी-श्रीपर्णी फल। 53/2 सेज्जा-शय्या। सीस-१. शीर्ष, सिर , सेज्जातरी-शय्यातरी, साधु को 2. शिष्य। स्थान देने वाली। 202 सीहकेसरय-सिंहकेशरक मोदक। 216,220/1 सेडंगलि-श्वेताङ्गलि. एक प्रकार का सुइ-शुचि, पवित्र। 288/3 महिला प्रधान पुरुष। 219/6 सुइव्व-आगामी काल से सम्बन्धित। 105 सेस-शेष। 66/1 सुंठी-झूठ। सेह-शैक्ष। 22/5 सुक्कड़ी-शुष्क कटी, पतली कमर। 198/15 सेहर-शिखा वाला। 87 सुणग-कुत्ता। 86 सोक्ख-सौख्य, सुख से युक्त। 96/2 सुण्ण-शून्य। 70/5 सोणिय-रक्त, शोणित। 245/2 सुण्हा-पुत्रवधू। 173 सोत-श्रोत्र। 96/3 सुत-१. सुत, पुत्र, 194/1, सोत्तिय-श्रोत्रिय ब्राह्मण / 207/1 2. श्रुत। 239/1 सोवाण-सोपान। 170 सुतट्ठाण-आचार्य। 143 सोवीर-सौवीर, काञ्जिक। 40,295/7 सुतनाणि-श्रुतज्ञानी। 239 सोहित-शोधित। 240/2 सुतोवउत्त-श्रुत में उपयुक्त। 239/1 हंदि-आमंत्रण सूचक अव्यय। 94/1, सुत्त-सूत्र। 240 173/3 सुद्ध-शुद्ध। 75 हत-प्रतिहत। 91/2 सुन्न-शून्य। 156/1 हत्थ-हाथ। 19 सुय-आने वाला कल। 128/2 हत्थकप्प-हस्तकल्प नामक नगर। 216 सुरट्ठ-सौराष्ट्र। 89/5 हत्थि-हाथी। 54/1 सुरा-शराब। 86/2 हत्थिच्चग-हाथ का आभूषण। 198/13 सुसक्कय-सुसंस्कृत। हरित-हरियाली। 255 सुह-सुख। 102 हिंगु-हींग। 112 सुहुम-सूक्ष्म। 116/2 हिट्ठिल्ल-अधस्तन, नीचे का। 73/20 सूइत-सूचित। 212 हित-चुराया हुआ। 145 सूभगकर-सौभाग्य करने वाला। 231/1 हियय-हृदय। 61/1 सूया-स्पष्ट रूप से कौशल हिरिम-लज्जावान् / 240/1 प्रकट करना। 206 हे?-अधः, नीचे का। सूरोदय-सूर्योदय नामक उद्यान। 91 / / हेट्ठामुही-अध:मुखी। 114 सूव-सूप। 297 - होम-हवन आदि क्रिया / 207/1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org