________________ 342 पिंडनियुक्ति 214/3 70/4, 209 129 70/3 282 223 116/4 76 - 96/2 292, 148 144 33 संसोधण-शुद्धि करना। सक्क -1. इंद्र, 2. शाक्य, श्रमण का एक प्रकार। सक्करा-शर्करा। सगड-शकट, बैलगाड़ी। सच्चित्त-सचित्त। सजिय-सजीव। सज्ज-सद्यः, शीघ्र। सज्झ-साध्य। सज्झाय-स्वाध्याय। सज्झिलग-१. भाई, 2. पड़ोसी। सज्झिलगा-भगिनी। सट्ठाण-स्वस्थान। सड्ढ-श्राद्ध, श्रद्धालु। सड्डी-श्राविका। सण्णा -उच्चार, मल। सण्णिजुज्जंत- उपयुक्त स्थान पर लगा हुआ। सत्त-१. सत्त्व, शक्ति, 2. सात। सत्तरी-सत्तर। सत्तु-शत्रु। सत्तुग-सत्तु, खाद्य विशेष / सदेस-स्वदेश। सद्द-शब्द। सधूम-ग्रासैषणा का एक दोष, आहार की निंदा करते हुए भोजन करना। सन्नायग-स्वजन। सपक्ख-स्वपक्ष। सपच्चवाय-अपाय से युक्त। सप्पि -घी। 119/1 157/1 108/1 सब्भाव-सद्भाव, यथार्थ / समक्ख-समक्ष। 198/5 समक्खात-समाख्यात, कथित। 50 समग्ग-समग्र / 324 समजाल-चूल्हे पर चढ़े पिठर के कर्ण तक पहुंचने वाली अग्नि। 252 समण-श्रमण। 73/5,96/3 समणधम्म-अमणधर्म। 44/3 समणुण्णात-समनुज्ञात / 177/2 समतिच्छिय-अतिक्रान्त करना। 252/2 समय-सिद्धान्त। समहिय-अधिक। समाओग-समायोग, मिलन। 313/1 समादेस-औद्देशिक दोष का एक भेद। 97 समारंभ-हिंसा। 144/3 समास-संक्षेप। 144 समित–समिति से युक्त। 136/5 समितिम-माण्ड। 89/5 समिधा-यज्ञ की लकड़ी। 207/2 समिय-१. रोटी, गेहूं के आटे का खाद्य विशेष, 108/1, 2. समित नाम के आचार्य / 230, 231/3,4 समुट्ठित-समुत्थित, सम्बन्धित। 193 समुत्तुइअ-गर्वित। 219 समुत्थ-उत्पन्न। 57/3 समुद्द-समुद्र। समुद्दि?-व्याख्यात। समुद्देस-औद्देशिक दोष का भेद, पाषंडियों के लिए बनाया गया आहार। 98 समुद्देसिय–समुद्देशिक, औद्देशिक दोष का भेद। समुसरण-समवसरण, समूह। 213 302/4, 44 192/7 52/1 89/5 152 70/6 16 314 320/1 81 270 305 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org