________________ परि. 19 : शब्दार्थ 321 86 उद्देसिय -औद्देशिक, भिक्षा का एक दोष, अपने साथ साधु के निमित्त अधिक बनाया गया भोजन। 110,190 उद्देहिगा-दीमक। 34 उप्पत्ति-उत्पत्ति। 194/2 उप्पलण-डुबोना। 198/11 उप्पाइय-उत्पादित। उप्पायणा-उत्पादना दोष। 53,142, 193,233 उब्भट्ठ-मांगा हुआ। 128/2 उब्भामग-जार पुरुष। 198/9 उभिज्ज-उद्भिज्ज, बथुआ आदि साग की भाजी। 297 उब्भिज्जमाण-खोला जाता हुआ। 163/6 उब्भिण्ण-कपाट आदि खोलना, 59,162, भिक्षा का एक दोष। 163 उम्मत्त-उन्मत्त। 265 उम्मीस-उन्मिश्र, भिक्षा का एक 237,289, दोष। 290 उम्मुक्क-उन्मुक्त, छूटा हुआ। 302/3 उल्ल-आर्द्र, गीला। उल्लण-छाछ से गीला किया हुआ ओदन। 297 उल्लावण -उल्लाप, वार्तालाप। 198/14 उल्लिंपमाण-लेप किया हुआ। 163/2 उवउत्त--उपयुक्त। उवओग-उपयोग। 25 उवकरण-उपकरण। उवकार -उपकार। उवक्खड-खाद्य को मसाले से संस्कारित करना। उवग्गह-उपग्रह, उपकार। उवघात-उपघात। उवचय-उपचय। उवज्झाय-उपाध्याय। 219/10 उवणयण-पास में लाना। 207/3 उवधि-उपधि। 119 उवमा-उपमा। 53/2 उवरिम-ऊपर। 73/12 उवरिल्ल-ऊपर वाला। 73/12 उवल-पाषाण / उवसग्ग-उपसर्ग। 219/14 उवालद्ध-उपालब्ध। 69/1 उवासग-उपासक। 227/1 उव्वट्टण-कपास लोठना, उसके ____ बीजों को अलग करना। 288/7 उव्वट्टित–१. च्युत करना, 198/9, 2. पीठी आदि से 198/12 उद्वर्तन किया हुआ। उव्वरित-शेष बचा हुआ। 308 उसिण-उष्ण। 254 उसुक-तिलक, आभरण विशेष। 198/13 उस्सक्कण-नियत काल के बाद। 131 उस्सक्कित-नियत काल के बाद किया हुआ। 135/1 उस्सग्ग -उत्सर्ग। 14 ऊण-कम। 149 ऊसव-उत्सव। 96/1 एगट्ठिय-एकार्थक। 56 एगत्थ -एक तरफ। 130 एत्तिय-इतना। 95/2 एवइय-इतना / 188/1 एसणा-एषणा / 51,96/3 एसणासमित-एषणा समिति से समित। 136/5 एसित-एषणा से प्राप्त। 240/4 एस्स-भविष्य। 295/6 ओकड्डिय-निकाला हुआ। 188/1 ओगाहण-अवगाहन। 282 95/1 111 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org