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पिंडनियुक्ति
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६९/२. आहाकडभोईहिं, सहवासो तह या तव्विवज्जं२ पि।
दंसणगंधपरिकहा, भावेंति सुलूहवित्तिं पि॥ १२६ ॥ ६९/३. रायऽवरोहऽवराहे, विभूसितो घाइतो नगरमज्झे।
धन्नाधन्नोत्ति कहा, वहावहो कप्पडिय खोला ॥ १२७ ॥ ६९/४. साउं पज्जतं आदरेण, काले रिउक्खमं निद्धं ।
तग्गुणविकत्थणाए, अभुंजमाणे वि अणुमन्ना ॥ १२८॥ ७०. आहा अहे य कम्मे, आयाहम्मे य अत्तकम्मे य।
जह वंजण नाणत्तं, अत्थेण वि पुच्छते एवं ॥ १२९ ॥ ७०/१. एगट्ठः एगवंजण, एगटुं नाणवंजणा चेव।
नाण? एगवंजण, नाणट्ठा वंजणा नाणा'१० ॥ १३० ॥ ७०/२. 'दिटुं खीरं खीरं '११, एग8 एगवंजणं लोए।
'एगटुं बहुनाम'१२, दुद्ध पयो पीलु१३ खीरं च ॥१३१॥ ७०/३. गो-महिसि-अजाखीरं, नाणटुं एगवंजणं णेयं ५।
'घड-पड-कड-सगड-रहा'१६, होति पिहत्थं पिहं नामं ॥ १३२ ॥ ७०/४. आहाकम्मादीणं, होति दुरुत्तादि७ पढमभंगो उ।
आहाहेकम्मं ति य'१८, बितिओ सक्किंद इव भंगो॥१३३ ॥ ७०/५. आहाकम्मतरिया९, असणादी उ२० चउरो ततियभंगो।
आहाकम्म पडुच्चा, नियमा सुण्णो चरिमभंगो ॥१३४ ॥
१. वि (अ, बी)।
१०. णाणवंजणया (जीभा ११३१), तु. व्यभा १५५, २. वज्जिं (क)।
यह गाथा ला प्रति में नहीं है। ३. सत्थुवित्ति (अ, बी), वित्तं (स)।
११. जह खीरं खीरं चिय (जीभा ११३२)। ४. रायावरोहराहे (ला), रायावरोहवराहे (अ), १२. एगट्ठ णाणवंजण (जीभा)। रायारोहवराहे (क, मु)।
१३. पालु (अ, ब, ला), पाल (स)। ५. खोला:-हेरिकाः (मवृ), कथा के विस्तार हेतु देखें १४. तु. व्यभा १५६।। परि. ३,कथा सं. ७।
१५. लोए (अ, बी), णाम (क)। ६. "विकंथ (अ, ब, ला, बी), “विकंथणाए (स)। १६. “सगडरहाई (अ, बी)। ७. य भुंज (स)।
१७. दुरंतादि (ला, ब), “त्ताइं (अ)। ८. ६९/१-४-ये चार गाथाएं नियुक्ति की नहीं हैं, देखें १८. आहा अहे य कम्मे (अ) । . टिप्पण ६८/११।
१९. "मंतिरिया (स)। ९. एगट्ठा (अ, ब, मु)।
२०. य (क)।
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