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६८६-६८९.
६९०.
६९१.
६९२,६९३.
६९४,६९५.
६९९-६९९.
७००-७०२.
७०३, ७०४.
७०५-७०८.
७०९-७११.
७१२.
७१३.
७१४.
७१५.
७१६.
७१७,७१८.
७१९ ७२१.
७२२, ७२३.
७२४,७२५.
७२६.
७२७,७२८.
७२९,७३०,
७३१-७३३.
७३४-७४२.
७४३.
७४४-७४७.
७४८,७४९.
७५०-७५४.
७५५.
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जाने का विधान ।
अभिशय्या से लौटने पर करणीय कार्य | परिहार सामाचारी ।
भिक्षु शब्द की चालना और प्रत्यवस्थान से
व्याख्या |
वैयावृत्त्य करने में गणी, आचार्य आदि के प्रेतिषेध का कारण और समाधान ।
पारिहारिक अन्य गच्छ में क्यों जाए ? कारणों का निर्देश
पारिहारिक मुनि के माहात्म्य का अवबोध तथा आचार्य का कर्त्तव्य |
कार्य की प्राथमिकता में व्रण का दृष्टान्त और
उपनय ।
पारिहारिक के साथ कौन जाए ?
कारणवश पारिहारिक तप छोड़ने वाले मुनि की
चर्या का निर्देश |
वाद करने का विवेक दान ।
वाद किसके साथ ?
(१७)
समस्त गण का निस्तारण न कर सकने की स्थिति
में आचार्य आदि पंचक का निस्तारण ।
साधुओं की निस्तारण विधि |
साध्वियों की निस्तारण विधि ।
साधु-साध्वी दोनों की निस्तारण विधि |
७७८, ७७९.
७८०.
७८१.
७८२.
७८३.
७८४.
७८५,७८३.
७८७.
७८७.
जीतने के पश्चात् स्व- समय की प्ररूपणा करने का निर्देश |
७८८, ७८९.
राजा यदि स्वयं वाद करने की इच्छा प्रकट करे तब मुनि का कर्त्तव्य ।
७९०. ७९१,७९२.
७९३.
वाद किन-किन के साथ नहीं करना, इसका निर्देश | नलदाम का दृष्टान्त ।
७९४.
• वाद की सम्पन्नता के पश्चात् एक दो दिन वसति में ७९५, ७९६.
रहने का निवरैश
७९७.
-
७५६-७६०.
७६१-७६७.
भिक्षु, क्षुल्लक आदि के निस्तारण का क्रम ।
भिक्षुक आदि के क्रम का कारण ।
भिक्षुकी क्षुल्लिका के क्रम का कारण ।
संयमच्युत साधु-साध्वियों का निस्तारण क्रम । क्षुल्लक आदि के क्रम का प्रयोजन। दुर्लभ भक्त निस्तारण विधि।
भक्त-परिज्ञा और ग्लान ।
वृषभ, योद्धा और पोत का दृष्टान्त । भक्त प्रत्याख्यात व्यक्ति की सेवा के बिन्दुओं का
७६८, ७६९.
७७०.
७७१-७७४.
७७५,७७६.
७७७.
७९८-८०६.
८०७.
८०८.
८०९.
८१०.
८११.
८१२.
८१३.
८१४-८१६.
८१७,८१८.
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निर्देश |
वादी के लिए करणीय कार्यों का निर्देश । परिहारतप का निक्षेपण कब ? कैसे ?
प्रतिमा प्रतिपन्न की सामाचारी ।
दृष्टान्तों द्वारा एकाकी बिहार प्रतिमा के लिए योग्यअयोग्य की चर्चा ।
शकुनि और सिंह का दृष्टान्त तथा उपपय । परिकर्मकरण सामाचारी का निर्देश
प्रतिमाप्रतिपन्न मुनि की तप, सत्व आदि पांच तुलाएं।
तपो भावना ।
सत्त्व भावना ।
सूत्र भावना ।
एकत्व भावना ।
बल भावना ।
सहस्रयोधी की कथा ।
परिकर्मित का तपस्या द्वारा परीक्षण । परिकर्मित का तपस्या द्वारा परीक्षण |
बलभावना ।
प्रतिमाप्रतिपत्ति के लिए आचार्य को निवेदन । गृहिपर्याय और व्रतपर्याय का काल-निर्देश । परिकर्म के लिए अनेकविध पृच्छा । आत्मोत्थ, परोत्थ तथा उभयोत्थ परीषह । शैक्ष को एडकाक्ष की उपमा ।
देवता द्वारा आंख का प्रत्यारोपण ।
भावित और अभावित के गुण-दोष । प्रतिमा प्रतिपत्ति की विधि और उसके बिन्दु । आचार्य आदि की प्रतिमा प्रतिपत्ति विधि |
प्रतिमा की समाप्ति विधि और प्रतिमाप्रतिपन्न का सत्कारपूर्वक गण में प्रवेश ।
सत्कारपूर्वक गण में प्रवेश कराने के गुण । अधिकृत सूत्र का विस्तृत वाच्यार्थ ।
सत्कार सम्मान को देख अव्यक्त मुनि प्रतिमा स्वीकार करने के लिए व्यय।
रानी का संग्राम के लिए आग्रह करना । अव्यक्त के लिए प्रतिमा का वर्जन ।
आचार्य द्वारा निषेध करने पर प्रतिमा स्वीकार करने
का परिणाम और प्रायश्चित्त ।
भयग्रस्त भिक्षु द्वारा पत्थर फेंकने से होने वाले दोष तथा प्रायश्चित्त ।
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