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सानुवाद व्यवहारभाष्य
(श्री संघदासगणि विरचित व्यवहारभाष्य का साननाद संस्करण)
अप्पच्छित्ते य देइ पच्छितं, पच्छिते अइमत्तं,
आसायणा तस्स उ महती उ। जो अप्रायश्चित में प्रायश्चित देता है अथवा प्राप्त-प्रायश्चित्त से अधिक प्रायश्चित्त देता है, वह प्रवचन की महान आशातना करता है।
वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी
प्रधान संपादक आचार्य महाप्रज्ञ
संपादक /अनुवादक मुनि दुलहराज