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________________ 384 : प्राकृत व्याकरण उवरि उवरिल्लं उववासो उवसग्गो उवहं उवहसि स्त्री वि (एकायाः) एककी; (एकया) एक द्वारा; १-३६। वि (एकः) एक; २-९९, १६५। एक्काए सर्व वि (एकया) एक द्वारा; १-३६। अ. (एकदा) एक बार; कोई दफे; २-१६२। अ देशज (?) शीघ्रः आजकल; २-२१३। एक्कसिअ अ (एकदा) किसी एक समय में; २-१६२ पुं (अयस्कारः) लोहार; १-१६६। वि. (एकत्वम्) एकत्व; एकपना; १-१७७। अ (एकदा) एक समय में,कोई वख्त में; २-१६२। वि (एकः) एक; १-१७७। अ. (इदानीम्) इस समय में; १-७; २-१३४| अ. (इदानीम्) इस समय में; अधुना; २-१३४, एगत्तं उवहासं उव्वाडिरीए उव्विग्गो, उव्वीढं १८० उसमें उसहो ऊ, ऊआसो अ (उपरिम्) ऊपर; ऊर्ध्व; १-१०८। एक्काए वि (उपरितनम्) ऊपर का; ऊर्ध्व-स्थित; २-१६३। पुं. (उपवासः) दिन रात का अनाहारक व्रत विशेष एक्को १-१७३। एक्को पुं. (उपसर्गः) उपद्रव, बाधा; उपसर्ग-विशेष; एक्कइआ १-२३१। एक्कसरिअं वि (उभयं) दोनों; २-१३८ एक्कसि, वि. (उपहसितम्) हंसी किया हुआ; हंसाया हुआ; १-१७३। एक्कारो पुं. (उपहासम्) हंसी, ठट्ठा; २-२०१। स्त्री (उद्विग्नया) घबड़ाई हुई स्त्री द्वारा; २-१९३। एमया उव्विन्नो वि (उद्विग्नः) खिन्न; घबराया हुआ; एगो २-७९। एपिंह उव्वूढं वि. (उद्वयूढम्) धारण किया हुआ; पहना एत्ताहे हुआ;१-१२०। पुं. (ऋषभम्) प्रथम जिनदेव को; १-२४। । एत्ति पु. (ऋषभः) प्रथम जिनदेव; (वृषभः) बैल; एत्तिअमत्तं सांड; १-१३१; १३३; १४१। एत्तिलं एत्थ अ, देशज (?) निन्दा, आक्षेप, विस्मय, सूचना एद्दहं आदि अर्थों में; २-१९९। एमेव पु. (उपवासः) दिन रात का अनाहारक व्रत एरावओ विशेष; उपवास, १-१७३। एरावणो पुं. (उपाध्याय) पाठक, अध्यापक; १-१७३। एरिसी नं. (ऊरू-युगम्) दोनों जंघाएं;१-७) एरिसो पुं. (उत्सवः) उत्सव; त्यौहार; १-८४, ११४ सक (उच्छ्रसति) वह ऊंचा सांस लेने वाला; एवं २-१४५। एवमेव वि (उच्छूसति) वह ऊंचा सांस लेता है; (१-१४५) एस वि (उत्सारितः) दूर किया हुआ; २-२१। एसो पु. (उत्सारः) परित्याग; (आसारः) वेग वाली एसा वृष्टि ; १-७६। वि (उत्सिक्तः ) गर्वित, उद्धत; १-११४| वि (उच्छुकः) जहां से तोता उड़ गया हो वह; १-११४,२-२२॥ न देशज (?) (ताम्बूलम्) पान; २-१७४। ओ पुं (उस्रः) किरण; १-४३। ओआसो पुंन (एतद्गुणाः) ये गुण; १-११। ओक्खलं सर्व, (एतद्) यह; १-२०९; २-१९८, २०४। ओज्झरो वि (एकादश) ग्यारह; १-२१९, २६२ । वि (एतादृशः) ऐसा; इसके जैसा; १-१४२।। ओज्झाओ वि सर्व (एकः) एक;प्रथम; अकेला; २-९९ १६५। अ (एकताः) एक से; अकेले से; २-१६०। ओप्पिअं अ (एकदा) कोई एक समय में; एक बार में; ओमालं २-१६२। अ. (एकतः) एक से; अकेले से; २-१६०। ओमालयं वि (एकाकी) अकेला; २-१६५। वि (इयत्; एतावत्) इतना, २-१५७। एत्तिअमेत्तं वि (इयन्मात्रम्) इतना ही; १-८१ वि (इयत्) इतना; २-५७। अ. (अत्र) यहाँ पर; १-४०, ५७;। वि. (इयत्) इतना; २-१७। अ (एवमेव) इसी तरह; इसी प्रकार; १-२७१ पु. (ऐरावतः) इन्द्र का हाथी; १-२०८। पुं. (ऐरावतः) इन्द्र का हाथी; १-१४८, २०८ वि (ईदृशी) इस तरह की; ऐसा-ऐसी; २-१९५ वि (ईदृशः) ऐसा, इस तरह का; १-१०५, १४२ अ (एव) ही; १-२९। अ. (एवम्) ऐसा ही; १-२९; २-१८६। अ (एवमेव) इसी तरह का ही; १-२७१। सर्व (एष) यह; १-३१, ३५। सर्व (एषः) यह; (पु.) २-११६, १९८५ सर्व (स्त्री) (एषा) यह; १-३३, ३५, १५८| उज्झाओ ऊरूजुअं ऊसवो ऊससइ एव ऊससिरो ऊसारिओ ऊसारो ऊसित्तो ऊसुओ ऊसरं ऊसो पुं. (अबवलम्) उलुखल से निकलने के एअ गुणा एअं अ (अधि) संभावना, आमन्त्रण, सबोधन, प्रश्न आदि अर्थो में; १-१६९। (ओ) (अव, अप, उत), नीचे, दूर अर्थो में; अथवा; आदि अर्थो में १-१७२, २-२०३। पुं. (अवकाशः) मौका; प्रसंग; १-१७२, १७३ न (उदूखलम्) उलुखल; गूगल; १-१७१। पु. (निर्झरः) झरना; पर्वत से निकलने वाला जल प्रवाह; १-९८। पं. (उपाध्यायः) पाठक; उपाध्याय; अध्यापक; १-१७३। वि. (अर्पितम) अर्पण किया हुआ; १-६३ न (अवमाल्यम्) निर्माल्य; देवोच्छिष्ट द्रव्य; १-३८;२-९२। न (अवमाल्यम्) निर्माल्य; देवोच्छिष्ट द्रव्य; १-३८ एआरह एआरिसो एओ एकत्तो एकदा एकदो एकल्लो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001942
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2006
Total Pages454
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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