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________________ प्रकाशकः विनोदराय मणिलाल सेठ, अध्यक्ष श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम स्टे. अगास, वाया-आणंद पोस्ट बोरीआ ३८८ १३० (गुजरात) एक आत्माको जाना उसने सब जाना। -निर्ग्रन्थ प्रवचन हिंदी प्रथम आवृत्ति प्रतियाँ १००० ईस्वी सन् २००४ विक्रम संवत् २०६० वीर संवत् २५३० मुद्रक : इंडिया बाईंडिंग हाउस दिल्ली अहो! सर्वोत्कृष्ट शांतरसमय सन्मार्गअहो! उस सर्वोत्कृष्ट शान्तरसप्रधान मार्गक मूल सर्वज्ञदेवअहो! उस सर्वोत्कृष्ट शान्तरसको जिन्होंने सुप्रतीत कराया ऐसे परमकृपालु सद्गुरुदेवइस विश्वमें सर्वकाल आप जयवन्त रहें, जयवन्त रहें। -श्रीमद् राजचंद्र टाईप सेटिंग डिस्केन कॉम्प्यु आर्ट आणंद-३८८१२० 6 (०२६९२) २५५२२१ "आत्मा होकर आत्मा बोला, आराधा तो बस ।” -प्रभुश्री लागत मूल्य रू. ११५/बिक्री मूल्य रू. १०/ (पुस्तक प्राप्ति स्थान) श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हाथी बिल्डींग, 'ए' ब्लॉक, स्टेशन अगास; वाया आणंद, | दूसरी मंजिल, रूम नं० १८, भांगवाडी, पोस्ट बोरिया-३८८१३० ४४८, कालबादेवी रोड, (गुजरात) बंबई-४००००२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001941
Book TitleUpdeshamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShrimad Rajchandra Ashram Agas
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year2004
Total Pages594
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, sermon, & Rajchandra
File Size13 MB
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