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विचारणा
उठो, खड़े हो जाओ, आत्मभावमें। यह क्या है? संसार है, भ्रम है; निवृत्त हो जाओ, चलो समभावमें । देखते रहो-स्वप्नवत् है। आप कौन हैं? आत्मा हूँ, ब्रह्म हूँ। क्या राजा हैं?
हाँ!
यह प्रजा क्या कर रही है? सुन रही है। उसकी देखभाल कौन करता है? विवेक। यह दूसरा कौन है? विचार । चलो विचारके पास। आपको कुछ कहना है? हाँ, उपयोगमें पहुँचो। उपयोगमें कुछ देखना है? हाँ। चलो तब। देखो। ज्ञान, दर्शन, चारित्र, नमस्कार करता हूँ, नमस्कार करता हूँ। असंग हूँ, एक हूँ।
शांतिः शांतिः शांतिः
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