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उपदेशामृत सद्बोधकी आवश्यकता है, बहुत उपदेशकी आवश्यकता है। वह हो तो जीव जागृत रहता है, फिर उसे कुछ कहना ही नहीं पड़ता। सद्बोधकी बलिहारी है। यही इच्छनीय है और विशेष ध्यान रखकर हृदयमें उतारने योग्य है, परिणमन करने योग्य है।
२० श्रबरी बंगला, माउंट आबू, ता.२-४-१९३५ समयमात्रका प्रमाद करना उचित नहीं है। इसमें भारी अर्थ समाया है। ऐसा कौनसा समय समझें? समय किसको कहा जाय? बहुत गहन रूपसे विचारणीय है। काल तो सदा ही है। पर ऐसा समय आये कि जिससे समकित हो, केवलज्ञान हो, वैसा समय कौनसा है? प्रमादने जीवका बुरा हाल किया है। जब तक शरीर नीरोगी हो, इंद्रियोंकी हानि न हुई हो, वृद्धावस्था न आयी हो और मरणांत यातना न आयी हो तब तक धर्म कर लेना चाहिये।
धर्म क्या? उपयोग ही धर्म है। उपयोग ही आत्मा है। जीवने अनेक बार इसे सुना है, पर सामान्य कर दिया है। यह तो मैं जानता हूँ, अरे! यह तो मैं जानता था, यों जीवने अमूल्य रत्नचिंतामणि जैसी वस्तुको कंकर जैसी तुच्छ मान ली है।
"हुँ कोण छु ? क्यांथी थयो? शुं स्वरूप छे मारूं खरूं? कोना संबंधे वळगणा छ ? राखुं के ए परहरूं? एना विचार विवेकपूर्वक शांत भावे जो कर्यां,
तो सर्व आत्मिक ज्ञाननां सिद्धांत तत्त्व अनुभव्यां." यह 'अमूल्य तत्त्वविचार' नाम रखकर परमकृपालुदेवने बताया है तो भी जीव मोहनिद्रामें सो रहा है। अनंतकालके बाद ऐसी बात हाथ लगी है और यदि जागृत होकर उसका लाभ नहीं लिया गया तो अनंतकाल तक दुबारा हाथ नहीं लगेगी, ऐसी परम पुरुषकी दुर्लभ वाणी सत्संगमें सुननेको मिलती है। उसका अत्यंत माहात्म्य रखकर यथासंभव विचारकर, बारंबार उसी भावनामें रहना उचित है। डाका पड़े ऐसा दुष्काल हो या लुटेरोंका भय हो तब लोग जैसे जागृत रहते हैं, सावधान रहते हैं कि जीवनभर परिश्रम कर एकत्रित किया धन कहीं घड़ी भरमें लुट न जाय, वैसे ही मृत्युका धावा तो अवश्य ही होनेवाला है और मनुष्यभवकी सामग्री लुट जानेवाली है। किंतु जो पहलेसे चेत जायेंगे, धर्म कर लेंगे, आत्माको पहचान लेंगे, उपयोगपूर्वक प्रवृत्ति करते रहेंगे, वे बच जायेंगे, वे अमर हो जायेंगे, शाश्वतपदको प्राप्त कर लेंगे। इस कालमें समकित प्राप्त किया जा सकता है। यदि जीव इस अवसरको चूक जायेगा तो फिर ऐसा अवसर आना दुर्लभ है। 'छह पद के पत्र पर प्रतिदिन बारंबार विचार करना चाहिये।
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तीर्थक्षेत्र आबू, ता. २-६-१९३५ तत् ॐ सत् "बहु पुण्यकेरा पुंजथी शुभ देह मानवनो मळ्यो, तोये अरे! भव चक्रनो आंटो नहि एक्के टळ्यो;
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