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________________ जैन दार्शनिक साहित्य का सिंहावलोकन ૨૩૯ है'-"तप-नियम-ज्ञानरूप वृक्ष के ऊपर आरूढ़ होकर अनन्तज्ञानी केवली भगवान् भव्यजनों के हित के लिए ज्ञानकुसुम की वृष्टि करते हैं । गणधर अपने बुद्धि-पट में उन सकल कुसुमों को झेलते हैं और प्रवचन-माला गूंथते हैं ।" यही प्रवचन-माला आचार्य परम्परा से, कालक्रम से, हमें जैसी भी टूटी फूटी अवस्था में प्राप्त हुई है, आज 'जैनागम' के नाम से प्रसिद्ध है । जैन आगमिक साहित्य, जो अंगोपांगादि भेदों में विभक्त है, उसका अन्तिम संस्करण वलभी में वीरनिर्वाण से ९८० वर्ष के बाद और मतान्तर से ९९३ वर्ष के बाद हुआ । यही संस्करण आज उपलब्ध है। इसका मतलब यह नहीं कि आगमों में जो कुछ बातें है वे प्राचीन समय की नहीं हैं । यत्र-तत्र थोडा बहुत परिवर्तन और परिवर्धन है इस बात को मानते हुए भी शैली और विषय वर्णन के आधार पर कहा जा सकता है कि आगमों का अधिकांश ईस्वी सन् के पूर्व का है, इसमें सन्देह को कोई अवकाश नहीं । जैन दार्शनिक साहित्य के विकास का मूलाधार-ये ही प्राकृत भाषा-निबद्ध आगम रहे हैं । अतएव सक्षेप में इनका वर्गीकरण नीचे दिया जाता है१. अंग १-आचार, २-सूत्रकृत, ३-स्थान, ४-समवाय, ५-भगवती, ६-ज्ञातृधर्मकथा, ७उपासकदशा, ८-अन्तकृद्दशा, ९-अनुत्तरौपपातिकदशा, १०-प्रश्नव्याकरण, ११-विपाक, १२-दृष्टिवाद (लुप्त है) २. उपांग १-औपपातिक, २-राजप्रश्नीय, ३-जीवाभिगम, ४-प्रज्ञापना, ५-सूर्यप्रज्ञप्ति, ६-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ७-चन्द्रप्रज्ञप्ति, ८-कल्पिका, ९-कल्पावतंसिका, १०-पुष्पिका, ११-पुष्पचूलिका, १२-वृष्णिदशा । ३. मूल १-आवश्यक, २-दशवैकालिक, ३-उत्तराध्ययन, ४-पिण्डनियुक्ति, (किसी के मत से ४ओघनियुक्ति) । ४. चूलिकासूत्र १ नन्दीसूत्र । २ अनुयोगद्वारसूत्र । ५. छेदसूत्र १-निशीथ, २-महानिशीथ, ३-बृहत्कल्प, ४-व्यवहार, ५-दशाश्रुतस्कन्ध, ६-पञ्चकल्प । ६. प्रकीर्णक १-चतुःशरण, २-आतुरप्रत्याख्यान, ३-भक्तपरिज्ञा, ४-संस्तारक, ५-तन्दुलवैचारिक, ६चन्द्रवेध्यक, ७-देवेन्द्रस्तव, ८-गणिविद्या, ९-महाप्रत्याख्यान, १०-वीरस्तव । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001940
Book TitleSruta Sarita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageEnglish, Prakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size18 MB
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