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श्री उग्रादित्याचार्यकृतं कल्याणकारकम् हिंदीभाषानुवादसहितम् ।
मंगलाचरण व आयुर्वदोत्पत्ति श्रीमत्सुरासुरनरेंद्रकिरीटकोटिमाणिक्यरश्मिनिकरार्वितपादपीट: तीर्थाधिपो जितरिपुर्वपभो बभूव
साक्षादकारणजगत्रितयकर्षः॥१॥ भावार्थ:-जिनका पादपीठ ऐश्वर्यसंपन्न देवेंद्र, भवनवासी, व्यंतर व ज्योतिकेंद्र एवं चक्रवर्तिके किरीटमें लगे हुए पद्मराग रत्नोंकी कांतिसे पूजित है, जिन्होंने इस भरतखण्डमें सबसे पहिले मोक्षमार्गका उपदेश दिया है, व ज्ञानावरणादि कर्मरूपी शत्रुवोंको जीत लिया है ऐसे तीन लोकके प्राणियोंका साक्षात् अकारणबंधु श्री ऋषभनाथ स्वामी सबसे पहले, तीर्थकर हुए ॥ १ ॥
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