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________________ ( XXXIV ) ६१३ ६१४ विरेचन के प्रथमदिन भोजनपान ५९६ विरेचक औषधदान विधि ५९७ विविधकोष्ठोमें औषधयोजना ५९७ सम्पग्विरिक्त के लक्षण व पेयपान ५९७ यवापानका विधि ५९८ संशोधनभैषज के गुण विरेचन प्रकीर्णविषय दुर्बल आदिकोंके विरेचनविधान ५९९ अतिस्निग्बको स्निग्धरेचनका निषेध ५९९ संशोधनसंबन्धी ज्ञातव्यबाते ६०० संशोधनमें पंद्रहप्रकारकी व्यापत्ति ६०० विरेचनका ऊर्ध्वगमन व उसकी । चिकित्सा ६०१ धमन का अधोगमन व उसकी चिकित्सा ६०१ आमदोषसे अर्धपीत औषधपर योजना ६०२ विषमऔषध प्रतीकार ६०२ सावशेषऔषध व जीर्ण औषधका लक्षण व उसकी चिकित्सा६०३ अल्पदोपहरण, वातशूल का लक्षण उसकी चिकित्सा ६०३ अपोगका लक्षण व उसकी चिकित्सा६०४ दुविरेच्यमनुष्य ६०५ अतियोगका लक्षण व उसकी चिकित्सा ६०६ जीवशोणितलक्षण ६०७ जीवदान, आध्मान, परिकर्तिका लक्षण व उनको चिकित्सा ६०८ परिस्रावलक्षण परिस्रावव्यापत्तिचिकित्सा प्रवाहिका लक्षण प्रवाहिका हदयोपसरण व विबन्धकी चिकित्सा ६११ कुछ व्यापत्तियोंका नामांतर ६१२ बस्तिके गुण और दोष ६१३ बस्तिआपच्चिकित्सावर्णनप्रतिज्ञा ६१३ बस्तिप्रणिधान में चलितादि व्याप चिकित्सा ऊर्बोक्षिप्तव्यापचिकित्सा अवसन्नव्यापच्चि कित्सा नेत्रदोषजव्यापत्ति व उसकी चिकित्सा बस्तिदोष जव्यापत्ति व उसकी चिकित्सा ६१५ पीडनदोषजन्यव्यापत्ति व उसकी चिकित्सा ६१५ औषधदोषजव्यापत्ति और उसकी चिकित्सा ६१६ शय्यादोपजन्यव्यापत्ति व उसकी चिकित्सा ६१६ अयोगादिवर्णन प्रतिज्ञा अयोग,आध्मानलक्षण व चिकित्सा ६१७ परिकर्तिका लक्षण व चिकित्सा ६१८ परिस्रावका लक्षण प्रवाहिका लक्षण इन दोनोंकी चिकित्सा हृदयोपसरणलक्षण ६१९ हृदयोपसरणचिकित्सा ६२० अंगग्रह अतियोगलक्षण व चिकित्सा ६२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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