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________________ (Xxiv ) - प्रतिश्यायकी उपेक्षाका दोष ४०६ प्रतिश्यायचिकित्सा वात, पित्त, कफ व रक्तज, प्रतिश्यायचिकित्सा, .. ४०७ प्रतिश्यायपाचन के प्रयोग ४०७ सनिपातज व दुष्टप्रतिश्याय चिकित्सा ४०७ प्रतिश्यायका उपसंहार अंतिमकथन تم ror 3000 ४०९ 2 कृमिनाशकतैल सुरसादियोग ४१२ कृमिघ्नयोग ४१३ पिप्पलामूलकलक ४१३ रक्त जकृमिरोगचिकित्सा कृमि रोगमें अपथ्य अजीर्णरोगाधिकारः ४१३ आम, विदग्ध, विष्टब्धाजीर्णलक्षण ४१३ अजीर्णसे अलसक विलंबिका विशू चिकाकी उत्पत्ति अलसकलक्षण विलम्बिका लक्षण विशूचिका लक्षण अजीर्णचिकित्सा ४१५ अजीर्ण में लंघन ४१५ अजीर्णनाशकयोग ४१५ अजीर्णहृदोगत्राय कुलत्थकाथ विशूचिका चिकित्सा त्रिकटुकाद्यंजन विशूचिका दहन व अन्यचिकित्सा ४१७ अजीर्णका असाध्यलक्षण ४१७ मूत्र व योनिरोगवर्णनप्रतिज्ञा मूत्रघाताधिकारः वातकुंडालका लक्षण मूत्राष्ठलिका लक्षण - ४१८ वातबस्तिलक्षण मूत्रातीतलक्षण मूत्रजठरलक्षण ४१८ मूत्रोत्संगलक्षण मूत्रायलक्षण अथ सप्तदशः परिच्छेदः मंगलचरण व प्रतिज्ञा सर्वरोगोंकी त्रिदोषोंसे उत्पत्ति ४०९ त्रिदोषोत्पन्न पृथक् २ विकार ४०९ रोगपरीक्षाका सूत्रा : अथ हृद्रोगाधिकारः४१० बातजहृद्रोगचिकिसा .४१० वातजहृदोगनाशकयोग पित्तजहयोगचिकित्सा ४१० कफजहृद्रोगांचेकित्सा ४१० हृदोगमें वस्तिप्रयोग ४१० . अथ क्रिमिरोगाधिकारः ४११ क्रिमिरोगलक्षण ४११ कफपुरीषरक्तजकृमियां कृमिरोगचिकित्सा कृमिरोगशमनार्थशुद्धिविधान ४११ कृमिघ्नस्वरस . . ४१२ विडगचूर्ण . . . ४१२ मूषिककर्णादियोग .. tururar ४१७ क्षण ४११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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