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________________ ( XIII ) २३३ २३४ २३४ २३६ स्तब्धादिवातचिकित्सा २३२ सर्वांगगतादिवातचिकित्सा .. २३३ अतिवृद्धवातचिकित्सा वातरोगमें हित २३३ तिल्वकादिघृत अणुतैल सहस्रविपाक तैल २३५ पत्रलवण क्वाथसिद्धलवण २३६ कल्याणलवण साध्यासाध्यविचारपूर्वक चिकित्सा करनी चाहिये २३७ अपतानकका असाध्यलक्षण २३७ पक्षाघातका असाध्यलक्षण आक्षेपक अपतानकचिकित्सा २३८ घातहरतैल २३८ वातहरतलका उपयोग आदितवातचिकित्सा शुद्ध ब मिश्रवातचिकित्सा पक्षाघात आदितवातचिकित्सा २३९ आदितवात के लिये कामादि तैल । २३९ गृध्रसीप्रभृति वातरोगचिकित्सा २३९ कोष्ठगतवातचिकित्सा वातव्याधिका उपसंहार कर्णशूलचिकित्सा २४० मूढगर्भाधिकारः २४० मूढगर्भकथनप्रतिज्ञा गर्मपातका कारण गर्भावस्वरूप २४१ मूढगर्भलक्षण मूढगर्भको गतिके प्रकार मूढगर्भका अन्यभेद मूढगर्भका असाध्यलक्षण शिशुरक्षण मृतगर्भलक्षण २४२ मूढगर्भउद्धरणविधि २४३ सुखप्रसवार्थ उपायान्तर मृतगर्भाहरणविधान २४४ स्थूलगर्भाहरणविधान गर्भको छेदनकर निकालना सर्वमूढगर्भापहरणविधान २४४ प्रसूताका उपचार २४४ बलातैल शतपाकबलातैल २४६ नागबलादितैल प्रसूतास्त्री के लिये सेव्य औषधि २४६ गर्मिणी आदिके सुखकारक उपाय २१७ बालरक्षाधिकारः २४७ शिशुसेव्य घृत २४७ घात्रीलक्षण २४७ बालप्रहपरीक्षा २४७ बालग्रहचिकित्सा २४८ बालरोगचिकित्सा २४८ बालकोंको अग्निकर्म आदिका निषेध २४८ अर्शरोगाधिकारः २४४ अर्शकथनप्रतिज्ञा २४८ अर्शनिदान २४९ अर्शभेद व वातार्शलक्षण २.९ २४६ २३८ २३९ mr0 ० २४० ० ० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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