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________________ (XI ) १९९ १९९ २०० २०० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० २०० खर आदिके मलोपयोग त्रिफलाक्काथ प्रमेहीके लिए विहार कुलीनको प्रमेहजयार्थ क्रियाविशेष १९९ प्रमेहजयार्थ नीचकुलोत्पन्नका क्रियाविशेष १९९ पिटिकोत्पत्ति प्रमेहपिटिका चिकित्सा विलयनपाचनयोग धारणशोधनरोपणाक्रिया शोधनऔषधियां रोपण औषधियां रोपणवर्तिका सद्योत्रणचिकित्सा बन्धनक्रिया बन्धनपश्चाक्रिया बन्धनफल व्रणचिकित्सासमुच्चय शुद्ध व रूढवणलक्षण प्रमेहविमुक्तलक्षण प्रमेहपिडिकाका उपसंहार कुष्टरोगाधिकारः हकी संप्राप्ति कुष्टका पूर्वरूप सप्तमहाकुष्ट क्षुद्रकुष्ठ २०४ रकशकुष्टलक्षण कुष्ठमें दोषोंकी प्रधानता एकविचचिविपादिका कुष्ठलक्षण २०५ परिसर्पविसर्पणकुलक्षण २०५ ० ० ० ० ० MAGGG ० ० ० किटिभपामाकच्छुलक्षण २०५ असाध्यकुष्ट वातपित्तप्रधानकुष्ठलक्षण कफप्रधान व त्वस्थ कुष्ठलक्षण कुष्टमें कफका लक्षण २०६ रक्तमांसगतकुष्ठलक्षण २०६ मेदसिरास्नायुगतकुष्ठलक्षण २०७ मज्जास्थिगतकुष्टलक्षण २०७ कुष्ठका साध्यासाध्यविचार असाध्यकुष्ठ असाध्यकुष्ठ व रिष्ट कुष्ठीके लिये अपथ्यपदार्थ कुष्ठचिकित्सा २०८ कुष्ठमें पथ्यशाक कुष्ठमें पध्यधान्य कष्ठमें वमनविरेचन व त्वस्थ कुष्टकी चिकित्सा रक्त व मांसगतकुष्ठचिकित्सा मेदोऽस्थ्यादिगतकुष्ठचिकित्सा त्रिदोषकुष्ठचिकित्सा निंबास्थिसारादिचूर्ण पुन्नागबीजादिलेप पलाशक्षारका लेपद्य सिद्धार्थादिलेप २११ भल्लातकारथ्यादिलप भल्लातकादिलेप अवधि:शोधन कुष्ठमें वमनविरेचन रक्तमोक्षणका क्रम २१२ ० ० ० ० ~~~ MANN M ० ० ० ० y ० ० ० ०. ७०. ० ०. ० . . orror or or oram . . or orn ० ० ० m 3000 ० ० २०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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