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________________ पित्तरोगाधिकारः । वातज्वरसे काय वासामृतांबुदपटोल महापधानां । पाठाग्निमंथबृहतीद्वय नागराणाम् ॥ वा श्रृंगवेरपिचुमंदनृपांधिपानाम् । कार्य पिवेदखिलवातकुतज्वरेषु ॥ ७१ ॥ भावार्थ:- संपूर्ण वातिक ज्यरोमें अइसा, गिलोय, नागरमोथा, परवलकी पतियां मोठ इनका वा पाठा, अगेधु, दोनों कटेली, सोट इनका, वा शुंठी, नीम, अमलतास इनका काथ ( काढा ) बनाकर पीना चाहिये ॥ ७१ ॥ पित्तज्वर में काथ । Jain Education International । लाजाजलामलकबालकशेरुकाणां मृद्वीकनागमधुकोत्पलशारिबानां ॥ कुस्तुंबुरोत्पलपयोदपयोरहाणां ॥ काथं पिवेदखिलपित्त कृतज्वरेषु ॥ ७२ ॥ भावार्थ:-- पैत्तिक ज्वरोंमें धानके खील, नेत्रवाला, आंवला, कच्चा कशेरु इनका वा मुनक्का, नागरमोथा, मुलैठी, नीम, कमल, सारिवा इनका, वा धनिया, नीलकमल, नागरमोथा, कमल इनका काथ बनाकर पीना चाहिये ॥ ७२ ॥ कफज्वर में काथ | ( १७१) एलाजमोदमरिचामलकाभयाना- । मारग्वधांबुदमहौषधपिप्पलीनाम् || मूर्निवर्निवबृहतीयनागराणाम् । काथं पिवेदिह कफमचुरज्वरेषु ॥ ७३ ॥ भावार्थ:- कफ ज्वर में इलायची, अजवाईन, मिरच, आंवला, हरड इनका वा अमलतास, नागरमोथा, सुंठी, पीपल इनका, वा चिराता, नीम, दोनों कली, शुंठी इनका काय बनाकर पीनेसे शांति होता है || ७३ ॥ सनिपातिक स्वरमें काश ! मुस्तानिशामलकचंदनसाविनां । छिन्नोद्भवांबुदपटोलहरीतकीनां ॥ पूर्वामृतांबुदविभीतकरोहिणीनां ! वायं पिवेति ॥ ७४ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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