________________
परिशिष्ट
७५३
संदृष्टि संख्या २५
औदारिक मिश्र काययोगियोंकी बन्ध-रचना
बन्ध-योग्य प्रकृतियाँ ११४ मिथ्यात्व १०६ सासादन ६४
२० अविरत
४४ सयोगिके०
११३ + यहाँ पर अविरतमें व्युच्छिन्न होगेवाली ४ तथा ऊपरके गुणस्थानों में व्युच्छिन्न होनेवाली ६५ मिलाकर ६६ की व्युच्छिन्न जानना चाहिए ।
२६ ६६+
संदृष्टि संख्या २६
वैक्रियिकमिश्रकाययोगियोंको बन्ध-रचना
बन्ध-योग्य प्रकृतियाँ १०२ १०१
मिथ्यात्व सासादन अविरत
१३
संदृष्टि सं० २.
. कार्मणकाययोगियोंको बन्ध-रचना
बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ ११२ मिथ्यात्व सासादन
२४ अविरत
३७
७४+ सयोगिकेवली
१११ + ऊपरके गुणस्थानों में विच्छिन्न होनेवाली प्रकृतियोंको भी यहाँ गिन लिया गया है ।
६४
१
संदृष्टि सं० २८ कृष्ण, नील और कापोत लेश्यावाले जीवोंकी बन्ध-रचना
बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ ११८ मिथ्यात्व सासादन
१०१
११७
मिश्र
अविरत
७७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org