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पञ्चसंग्रह
संदृष्टि सं० २० भवनत्रिक देव-देवियोंकी तथा कल्पवासिनी देवियोंकीबन्ध रचना
बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ १०३ मिथ्यात्व १०३ सासादन ६६ मिश्र अविरत
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संदृष्टि सं० २१ सनत्कुमारादि-सहस्रारान्त कल्पवासी देवोंकी बन्ध-रचना
बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ १०१ मिथ्यात्व सासादन निश्र
अविरत संदृष्टि संख्या २२ आनतादि-उपरिमौवेयकान्ट कल्पवासी देवोंकी बन्ध-रचना
बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ ६७ गुणस्थान
अबन्ध
बन्धव्यु०. मिथ्यात्व सासादन १२
बंध
मिश्र
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१३
अविरत संदृष्टि संख्या २३
___ एकेन्द्रिय-धिकलेन्द्रिय जीवोंकी बन्ध-रचना
__ बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ १०६ मिथ्यात्व १०६
१३ सासादन संदृष्टि संख्या २४
बन्ध-योग्य प्रकृतियाँ ११२ मिथ्यात्व
१०७ सासादन
६४ अविरत
३७ प्रमत्तविरत सयोगिकेवली
१११ प्रमत्तविरतमें वहाँ व्युच्छिन्न होनेवाली ६, आहरकद्विकके विना अपूर्वकरणकी ३४, अनिवृत्तिकरणकी ५ और सूक्ष्म साम्परायकी १६, इस प्रकार सबको जोड़नेसे ६१ प्रकृतियोंकी बन्धव्युच्छित्ति बतलाई गई है।
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