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________________ सप्ततिका देसे सहस्स सत्तय चउसय अठ्ठत्तरा असीदी य । तिण्णि सया वाणउदी सत्त सहस्सा पमत्ते दु ॥३६८॥ ७४८८७३६२। देशसंयते सप्तसहस्राष्टाशीत्युत्तरचतुःशतसंख्या ७४८८ भवन्ति । प्रमत्ते शतत्रयद्वानवतिसप्तसहस्राणीतिमोहोदयप्रकृतिपरिमाणं ७३१२॥३६८॥ देशविरतगुणस्थानमें सात हजार चार सौ अठासी (७४८८) भंग होते हैं प्रमत्तविरतमें सात हजार तीनसौ बानबै (७३६२) भङ्ग होते हैं ॥३६८।। अह+ अप्पमत्तभंगा तावदिया होंति णायव्वा । तिग तिग छस्सुण्णगदा भंगवियप्पा अपुव्वे य ॥३६॥ ७३६२१३३६० सव्वेमेलिया ५०८८० । अथ अप्रमत्ते भङ्गाः प्रमत्तोक्तप्रमितास्तावन्त उदयविकल्पाः ७३६२ भवन्ति । अपूर्वकरणे त्रिकत्रिकषट्शून्यं गताः उदयविकल्पाः ३३६० ज्ञातव्या भवन्ति ॥३६६॥ सर्वे मीलिताः ५०८८० । इससे आगे सातवें अप्रमत्तगुणस्थानमें भी उतने ही अर्थात् सात हजार तीनसौ बानबै (७३६२) भङ्ग जानना चाहिए । अपूर्वकरणमें तीन, तीन, छह और शून्य अर्थात् तीन हजार तीन सौ साठ (३३६०) भङ्ग होते है ॥३६॥ उक्त आठों गुणस्थानोंके भङ्गोंका जोड़ ५०८८० होता है। अणियट्टिम्मि वियप्पा दोण्णि सया तिगधिया मुणेयव्वा । सव्वेसु मेलिदेसु य उवओगवियप्पया णेया ॥३७०॥ अणियहिउदयपयडीओ २४ । भवेदे १ सुहुमे । । सब्वे वि २६ । सत्तुवोगगुणा २०३ । अनिवृत्तिकरणस्य सवेदभागे प्रकृतिद्वयं २ वेदत्रयकषायचतुष्कहतैर्द्वादशभङ्ग गुणिताः २४ । अवेदभागे प्रकृतिः १ चतुःसंज्वलनहता। सूक्ष्मे सचमलोभः । एवमेकोनत्रिंशददयविकल्पाः २ योगैगुणितास्त्रिकाधिकद्विशतप्रमिता उदयविकल्पाः २०३ ज्ञेयाः ॥३७०॥ अनिवृत्तिकरण और सूक्ष्मसाम्परायमें तीन अधिक दो सौ अर्थात् २०३ भङ्ग जानना चाहिए । इन सर्व भङ्गोंके मिला देने पर उपयोग-विकल्पोंका प्रमाण निकल आता है ऐसा जानना चाहिए ॥३७०॥ ___ अनिवृत्तिकरणके सवेदभागमें उदयप्रकृतियाँ २४ होती हैं और अवेद भागमें ४ होती हैं। सूक्ष्मसाम्परायमें उदयप्रकृति १ है। ये सब मिलकर २६ हो जाती हैं। उन्हें सात उपयोगसे गुणा करने पर २०३ भङ्ग दोनों गुणस्थानोंके आ जाते हैं। इक्कावण्णसहस्सा तेसीदी चेव होंति बोहव्वा । पयसंखा णायव्वा उवओगे मोहणीयस्स ॥३७१।। ५१०८३ । 1. सं० पञ्चसं० ५,३८२ । 2.५, ३८३ । १. गो. क. गा० ४६३ । +ब अथ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001937
Book TitlePanchsangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages872
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size21 MB
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